आईपीसी धारा 143 क्या है IPC 143 in Hindi – पूरी जानकारी

आज की इस आर्टिकल में हम धारा 143 के बारे में जानेंगे की आईपीसी धारा 143 क्या होता हैं। (what is IPC 143 in Hindi) , इस धारा के बारे में जानना क्यों ज़रूरी है। यह धारा क्या कहती है (What does IPC 143 says in Hindi), आईपीसी धारा 143 में सजा और जमानत कैसे होती है (How is punishment and bail in IPC section 143 in Hindi) इस धारा के बारे में पुरी जानकारी बताएंगे।

आजकल सब जगह कुछ ना कुछ चीजों का हड़ताल चल रहा है तो ऐसे में जाहिर है की कोई ना कोई तो ऐसा होता जो दंगा फसाद करने की कोशिश करता है, शांति पूर्वक चल रहे कार्यों को बिगाड़ने की कोशिश करता है। जिसका मकसद सिर्फ समाज में अशांति फैलाना होता है। तो ये धरा सिर्फ इन्ही सब अपराधी के लिए बनाया गया है ताकि ऐसे अपराध न हो।

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इस आर्टिकल में हम एक ऐसी ही धारा के बारे में जानने कि कोशिश करेंगे की जब कोई ऐसा कुछ करने की कोशिश करता है तो उसे क्या सज़ा और जुर्माना लगा कर दंडित किया जाता है। यह भी जानेगे की धारा 143 क्या होता है और कैसे सज़ा और जमानत होती है तो आपको यह आर्टिकल अन्त तक पढ़ना है।

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आईपीसी धारा 143 क्या है।( What is IPC Section 143 in Hindi)

भारतीय दंड संहिता कि धारा 143 के अनुसार जो कोई भी व्यक्ति जहां ऐसे गैर कानूनी जनसमूह होगा तो न्यायालय ऐसे व्यक्ति को 6 माह की कारावास या जुर्माना लगा कर या फिर दोनों से दंडित करती है। यानी की इनसब जगह पे किसी भी तरह से आपको बदमासी गिरी नहीं करना है वरना आपके ऊपर IPC Section 143 अप्लाई होगी।

जब कहीं कोई सामूहिक कार्य या कोई हड़ताल चल रहा हो, कोई अपनी मांगो को लेकर शांति पूर्वक हड़ताल कर रह हो और वहां कुछ ग़ैर कानूनी गैंग के लोग वहां आ जाएं और दंगा फसाद करने लगे तो ऐसे लोगो पर धारा 143 के तहत केस दर्ज किया जाता है और उन्हें अदालत में पेश कर सज़ा सुनाई जाती है।

 Example:   2019 में चल रहे CAA-NRC के खिलाफ प्रदर्शन में ऐसे बहुत से लोग थे जो जिन्होंने दंगा मचाने की कोशिश की जिसमे बहुत से लोगों को पुलिस ने गिरफ़्तार किया था, उन्हें अदालत में पेश कर सजा सुनाई गई थी। ऐसा कुछ करना भारतीय दंड संहिता में अपराध माना गया है। 

धारा 143 में सज़ा का प्रावधान (Punishment in IPC Section 143 in Hindi)

भारतीय दंड संहिता की धारा 143 के अनुसार जो कोई ऐसे ग़ैर कानूनी जनसमूह का सदस्य होता है तो ऐसे व्यक्ति को न्यायालय 6 माह की सजा और जुर्माना लगा कर दंडित करती है। यह एक ग़ैर कानूनी और संज्ञेय अपराध है, जो किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

यह अपराध समझौता करने योग्य है। यह अपराध काफ़ी छोटा है लेकिन खतरनाक भी सबित हो सकता है अगर पुलिस करवाई ना करें तो इसमें कई लोगों को हानी भी हों सकता है। ऐसे बहुत से गैंग है जो नफरत फ़ैलाने का काम करते हैं। जिससे की लोगों में गुसा आ जाती है फिर इसका परिणाम बहुत खतरनाक होता है।

क्यूंकि दोस्तों जब आप कहीं आन्दोला कर रहे है और उस जगह पे अगर कोई थोड़ा सा भी बदमासी गिरी कर देता है तो वो भीड़ बहुत बड़ी घटना में तब्दील हो जाती है इसीलिए ऐसे जगह पे गलत हरकत नहीं करना चाहिए अगर आप करते है तो आपको IPC Section 143 के तहत गिरिफ्तार की जाएगी।

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धारा 143 में ज़मानत का प्रावधान (Bail in IPC Section 143 in Hindi)

भारतीय दंड संहिता की धारा 143 के अनुसार कोई ऐसे ग़ैर कानूनी जनसमूह का सदस्य होगा तो ऐसे व्यक्ति को 6 माह की कारावास दी जाती है तो ऐसे व्यक्ति को ज़मानत तो आसानी से मिल जाती है मगर यह अपराध मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

क्यूंकि यह अपराध आगे चलकर कोई बड़े दंगे का रुप ले सकता है जिससे बहुत कुछ नुक़सान हो सकता है। इस अपराध में ज़मानत के लिए एक वकील की ज़रूरत लगती है जो अपराधी को ज़मानत दिलवा सके किसी भी परिस्थिति में आसानी से।

दोस्तों जब आप ऐसे अपराध में फस जाते हो तो आपको बहुत आराम से कुछ भी काम करना होता है ऐसे में आपके केस को लड़ने के लिए एक अच्छा वकील की जरुरत पड़ती है ताकि ऐसे मामलो में बेहतर तरीके से लड़ सके और आपको इन्साफ दिलवा सके।

आईपीसी धारा 143  से कैसे बचें

भारतीय दंड संहिता की धारा 143 से बचने का एक ही तरीका है कि ऐसे किसी ग़ैर कानूनी जनसमूह में शामिल ना हो जो ऐसे कुछ कार्य करता है, जो दंगा फसाद करने का सोचता हो या समाज में अशांति फैलाने का काम करता हो, अगर ऐसे किसी जनसमूह में शामिल नहीं होंगे तो ऐसी कुछ धारा ही नहीं लगेगी।

यानी की अगर में आपको आसान भाषा में बताऊं तो ऐसे जगह पे आपको बिलकुल नहीं जाना है जहाँ पे आपको लगे की ये जो आंदोलन हो रहा है वहां पे दंगा हो सकता है या फिर आपको उस आंदोलन से कोई मतलब नहीं है तो ऐसे आंदोलन यानी जनसमूह में शामिल नहीं होना है यानी आपको उधर जाना ही नहीं है।

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Conclusion

हमने इस आर्टिकल के तहत आपको पुरी जानकारी देने की कोशिश की है कि कैसे इस धारा में क्या अपराध होती है। (What is IPC 279 in Hindi) कैसे जमानत होती है, कैसे बचा जा सकता है।(How is punishment and bail in IPC section 279 in Hindi) ऐसे अपराध को भारतीय दंड संहिता में यानी की IPC Section 143 में एक अपराध माना जाता है।

जो एक छोटा अपराध है पर बड़ा अपराध का रुप ले सकता है अगर कोइ कुछ कारवाई ना करें तो, ऐसे अपराध समाज में अशांति फैलाने का काम करते हैं।

हमने इस आर्टिकल में आपको बहुत ही आसान भाषा में समझाने की कोशिश की है हम उम्मीद करते हैं आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा अगर आया है तो अपने साथियों के साथ जरूर शेयर करें।

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