आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि भारतीय दण्ड संहिता की धारा 496 क्या है (What is IPC section 496 in Hindi), आईपीसी धारा 496 में कैसे अपराध होता है, कितनी सजा सुनाई जाती है, जमानत होती है या नहीं, अगर जमानत होती है तो कैसे होती है, एक वकील किस तरह अपराधी को जमानत दिलवाने में मददगार साबित होता है, इस अपराध को करने से कैसे बचा जा सकता है। यह भारतीय दण्ड संहिता की धारा 496 क्या कहती है (What does IPC section 496 says in Hindi), सब कुछ विस्तार से समझाने की कोशिश करेंगे।
आजकल धोखाधड़ी के मामले कई केस सामने आते हैं। किसी ने किसी के साथ धोखे से शादी कर लिया या बातों में उलझा कर उसके साथ कुछ गलत कर दिया, या धोखे से किसी जरूरी कागजात पर हस्ताक्षर करवा कर उनका गलत तरीके से प्रयोग किया। कई बार क्या होता है कि कोई व्यक्ति किसी अन्य को अच्छी अच्छी बात करके उसे अपनी जाल में फसा लेता है और जब कोई फस जाता है तो उसके साथ धोखा कर देता है।
तो आज हम ऐसे ही एक धारा के बारे में जानेंगे और देखेंगे कि विधिपूर्ण विवाह के बिना कपटपूर्वक विवाह कर्म पूरा कर लेने पर क्या होता है। यह सभी बातें हम भारतीय दण्ड संहिता की धारा में बहुत ही विस्तार से समझाने कि कोशिश करेंगे तो आपको यह आर्टिकल अन्त तक पढ़ना है।
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आईपीसी धारा 496 क्या है (What is IPC Section 496 in Hindi)
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 496 के अनुसार जो कोई व्यक्ति बेईमानी से या कपटपूर्ण इरादे से विवाहित होने का कर्म यह जानते हुए पूरा करेगा कि वह विधिपूर्वक विवाहित नहीं हुआ है। वह व्यक्ति को दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
आईपीसी धारा496 में सजा का प्रावधान (Punishment in IPC Section 496 in Hindi)
जो कोई व्यक्ति बेईमानी से या कपटपूर्ण इरादे से विवाहित होने का कर्म यह जानते हुए पूरा करेगा कि वह विधिपूर्वक विवाहित नहीं हुआ है। वह व्यक्ति को सात वर्ष की कारावास और जुर्माने से दण्डनीय किया जाता है।
आईपीसी धारा 496 में जमानत का प्रावधान (Bail in IPC Section 496 in Hindi)
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 496 के अनुसार यह एक जमानती अपराध है। इस अपराध में किसी भी व्यक्ति को कोई गंभीर चोट नहीं लगती या कोई माल हानी नहीं होती जिसके चलते इसे जमानती माना गया हैं। इस अपराध में किसी भी अपराधी को आसानी से जमानत मिल जाती हैं।
एक वकील की ज़रूरत क्यों लगती हैं।
किसी भी आरोपी को ज़मानत लेने के लिए एक वकील की ज़रूरत लगती ही है, फिर चाहे अपराध जमानती हो या नहीं, हर अपराध में जमानत लेने के लिए वकील लगता ही है। उच्च न्यायालय में जमानत की याचिका वकील द्वारा पेश की जाती है, यदि अपराध जमानती हो तो उसकी याचिका को स्वीकार कर लिया जाता है। यदि जमानती नहीं हो तो उसकी याचिका को निरस्त कर दिया जाता है। किसी भी मामले को सुलझाने के लिए एक ऐसे वकील को नियुक्त करना चाहिए जो पहले से अपने क्षेत्र में निपुण हो और आरोपी को निर्दोष साबित कर आसानी से जमानत दिलवा सकता हो।
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इस आर्टिकल में हमने आपको बताया कि विधिपूर्ण विवाह के बिना कपटपूर्वक विवाह कर्म पूरा कर लेने पर क्या होता है। इस धारा से संबंधित सारी जानकारी हमने आपको भारतीय दण्ड संहिता की धारा 496 (IPC section 496 in Hindi) में बहुत ही विस्तार और आसान भाषा में समझाने की कोशिश की है।
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