आज हम आपको बताने जा रहे है की आइपीसी धारा 304 क्या है (IPC 304 in Hindi) , इसके बारे में जानना हमारे लिए बहुत जरूरी है तो हम आपको बताएंगे कि आइपीसी की धारा 304 क्या कहती है (what does IPC 304 says in Hindi) और आईपीसी धारा 304 में सजा और जमानत कैसे होती है (How is punishment and bail in IPC section 304 in Hindi) इसके बारे में ओर भी बहुत कुछ बताएंगे।
दोस्तों कई बार क्या होता है की इंसान गुस्से में ऐसी बहुत से काम कर देता है जिससे उसे बहुत सी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। उस समय तो आदमी गुस्से में हाेता है तो उसे मालूम नहीं चलता लेकिन आगे चलकर वहीं गुस्सा उसके लिए काफी बड़ी समस्या खड़ी कर देता है।
आज हम ऐसी ही एक धारा के बारे में जानेंगे और समझने की कोशिश करेंगे तो आपको यह आर्टिकल अंत तक पढ़ना है यह आपके लिये लाभकारी साबित हो सकता है। क्यूंकि आईपीसी धारा 204 क्या है (IPC 308 in Hindi) इसके पूरी जानकारी देंगे।
आईपीसी की धारा 304 क्या है। (What is IPC 304 in Hindi)
भारतीय दंड संहिता की धारा 304 के अनुसार, जो कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति की गैर इरादतन तरीके से हत्या (जो हत्या की श्रेणी में न आता हो) करता है या फिर ऐसा कोई कार्य करता है जो किसी की मृत्यु का कारण बन जाए या ऐसी कोई चोट पहुंचाता हो जिससे किसी की मृत्यु हो जाती है तो उसे आजीवन कारावास की सजा दी जाती है और आर्थिक जुर्माना से भी दंडित किया जाता है।
आइपीसी धारा 304 क्या है (IPC 304 in Hindi) के अनुसार से जान बूझ कर ऐसा कार्य करता है जो किसी की मृत्यु का कारण बन जाए लेकिन वाे कार्य मृत्यु देने के इरादे से ना किया गया हो सिर्फ शारीरिक चोट पहुंचाने के इरादे से किया गया हो तब आरोपी को एक अवधी के कारावास और आर्थिक जुर्माना से दंडित किया जाता है।
कारावास की सज़ा दस साल तक बढ़ाया भी जा सकता है अगर आरोपी पर एक अपराध लगते हुऐ भी वह दोबारा अपराध करने की कोशिश करता है।
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आईपीसी धारा 304 में गैर इरादतन मानव वध के लिए दंड
अक्सर हमें सुनने को मिलता है कि किसी व्यक्ति ने किसी दुसरे व्यक्ति की हत्या की है तो उसे धारा 302 के तहत केस दर्ज किया गया है लेकिन किसी व्यक्ति के किसी अन्य व्यक्ति को मारने के कई पहलू हो सकते है.
जैसे किसी व्यक्ति का दुसरे व्यक्ति को जान से मारने का इरादा ना हो उसने वह हत्या किसी के कहने पर की हो या किसी ने उसे मजबूर किया हो ऐसा करने पर, ऐसी मामलों में हत्या तो होती ही है किसी व्यक्ति की तो जिस व्यक्ति के हाथों से हत्या हुईं है उसे न्यायालय में सही दंड देना का प्रावधान है।
इसी कारण वे सभी हत्या के मामले जिनमें मारने वाले व्यक्ति का इरादा नहीं होता है, उन मामलों में भारतीय दंड संहिता की धारा 302 नहीं लगाई जा सकती है, ऐसे सभी मामलों में भारतीय दंड संहिता की धारा 304 लगाए जाने का प्रावधान दिया गया है।
धारा 304 में दंड तो दीया जाता है लेकिन धारा 302 के अपराध से कम दंड दिया जाता है। धारा 304 में केवल आरोपी की नियत के हिसाब से केस बनाया जाता है। यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति पर सिर्फ़ शारीरिक चोट पहुंचाने के इरादे से वार करता है, किन्तु बाद में वह वार उस पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु का कारण बन जाए, तो इस प्रकार के मामले में आरोपी पर IPC Section 304 के तहत केस दर्ज किया जाता है।
लेकिन धारा 304 के अपराध के आरोपी को न्यायालय में साबित करना अनिवार्य होगा कि यह हत्या उसने जान बूझ कर नहीं की, बल्कि उस व्यक्ति से धोखे से हो गयी है। यदि आरोपी यह सिद्ध करने में असमर्थ हुआ तो उस आरोपी को धारा 304 की वजाय भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (IPC Section 302) के तहत दण्डित किया जायेगा।
मानव वध का अर्थ (Meaning of Human Slaughter in Hindi)
भारतीय दंड संहिता की धारा 299 (IPC Section 299) में मानव वध के बारे में बताया गया है। यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को जान से मारने के इरादे से या किसी व्यक्ती को कोई गंभीर चोट पहुंचाने के इरादे से किसी पर वार करता है जिससे उस व्यक्ति की मृत्यु होने की आशंका बड़ जाती है या कोई ऐसा कार्य करता है जिससे किसी की मृत्यु होने की सम्भावना बड़ सकती है तो ऐसे कार्य को मानव वध कहा गया है।
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धारा 304 में सजा का प्रावधान (Punishment Under IPC Section 304 in Hindi)
- भारतीय दंड संहिता की धारा 304 के अनुसार किसी की गैर इरादतन हत्या करना जो हत्या करने की श्रेणी में नहीं आता हो या कोई ऐसा काम करना जो किसी की मृत्यु का कारण बन जाए ऐसा अपराध करने पर न्यायालय उस आरोप को आजीवन कारावास और आर्थिक जुर्माना या फिर दोनों से दंडित किया जाता है।
- ऐसा कोई कार्य करना जो किसी की मृत्यु का कारण बन जाए लेकिन मृत्यु करने का इरादा ना हो तो न्यायालय ऐसी अपराधी को 10 वर्ष की कारावास और आर्थिक जुर्माना या फिर दोनों से दंडित करती है।
धारा 304 में ज़मानत का प्रावधान (Bail provision in IPC section 304 in Hindi)
IPC Section 304 का अपराध एक संज्ञेय अपराध है और गैर जमानती अपराधी है। यानी की इस अपराध में किसी भी आरोपी को ज़मानत मिलना काफ़ी मुश्किल है। अगर आरोपी उच्च न्यायालय में ज़मानत की याचिका दायर करता है तो कोर्ट उसकी याचिका को निरस्त कर देती है।
और यदि किसी आरोपी ने Indian Panel Code Section 304 के अपराध में अग्रिम जमानत लेने के लिए याचिका दायर की है, तो उसकी याचिका तुरंत ही निरस्त की जा सकती है, और न्यायालय उस व्यक्ति पर केस भी चला सकती है। धारा 304 में वर्णित अपराध की सुनवाई सेशन न्यायालय में की जाती है।
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धारा 304 में वकील की ज़रूरत क्यों होती है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 304 के अनुसार यह एक संज्ञेय अपराध है और गैर जमानती भी जिसमे किसी भी आरोपी को ज़मानत मिलना मुश्किल है ऐसे में किसी भी आरोपी को एक वकील ही बचा सकता है। कोई ऐसा वकील जो अपने कार्य में निपुण हो जो किसी भी आरोपी को आसानी से ज़मानत दिला सकें।
ऐसे मामलों में आरोपी को निर्दोष साबित करना मुश्किल हो जाता है। और गैर इरादतन मानव वध जैसे बड़े मामलों में ऐसे किसी वकील को नियुक्त करना चाहिए जो कि ऐसे मामलों में पहले से ही पारंगत हो, और धारा 304 जैसे मामलों को उचित तरीके से सुलझा सकता हो। जिससे आपके केस को जीतने के अवसर और भी बढ़ सकते हैं।
हम आशा करते हैं की आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा। इस आर्टिकल में हमने आपको यह बताने की कोशिश की है कि आइपीसी धारा 304 क्या है (IPC 304 in Hindi) और धारा 304 में क्या अपराध होता है वो भी आसान भाषा में, ईपीसी धारा 304 में सजा और जमानत कैसे होती है (How is punishment and bail in IPC section 304 in Hindi) अगर आपको पसंद आया हो तो अपने साथियों के साथ जरूर शेयर करें।