IPC 356 in Hindi – आईपीसी धारा 356 क्या है पूरी जानकारी

दोस्तों आज की इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि आईपीसी धारा 356 क्या है। (What is IPC section 356 in Hindi), धारा 356 में कैसे सजा होती है। धारा 356 में कैसे जमानत होती है। (How is punishment and bail in IPC section 356 in Hindi) यह धारा क्या कहती है। (What does IPC section 356 says), सब कुछ विस्तार से जानेंगे बस आप आर्टिकल पूरा धेयान से पढ़ना ताकि आपको अच्छे से समझ में आये।

अक्सर कोई अमीर आदमी किसी गरीब व्यक्ति की संपति छीनने की कोशिश करता है, उसे डरा धमका कर या उसे जूठा पैसों का लालच देकर, बिचारा गरीब व्यक्ति उसकी चाल जान नहीं पाता और उसके जाल में फस जाता है। या जबरदस्ती उससे उसकी संपति छीन लेता है और गरीब व्यक्ति कुछ नहीं कर पाता। खेर IPC Section 356 आपको हेल्प करेगा एशा क्कुह्ह मामलो में।

IPC Seaction 356 in Hindi

आज हम ऐसे ही एक धारा के बारे में जानेंगे और देखेंगे कि कैसे किसी की संपति को ज़ब्त करने पर क्या होता है। कैसे सजा सुनाई जाती है, सब कुछ विस्तार से जानेंगे तो आपको यह आर्टिकल अन्त तक पढ़ना है। क्यूंकि आपको इस आर्टिकल में बहुत आसान तरीके से समझाने का कोसिस करेंगे ताकि आपको सब कुछ अच्छे से समझ में आये।

आईपीसी धारा 356 क्या है (What is IPC Section 356 in Hindi)

भारतीय दंड संहिता कि धारा 356 के अनुसार यदि कोई किसी व्यक्ति पर हमला या अपराधिक बल कर के उसकी सम्पत्ति को चोरी करने की कोशिश करता है, जब व्यक्ति वो सम्पत्ति पहने हुए हो या उसे लिए जा रहा हो, तब ऐसे व्यक्ति पर धारा 356 लागू होती है।

किसी व्यक्ति की सम्पत्ति का चोरी करना एक गंभीर अपराध है। इसमें किसी व्यक्ति को गंभीर चोट भी लग सकती है ऐसे में अपराध गंभीर बन जाता है जो किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

 Example:  उषा एक स्कूल शिक्षक है जो अपनी स्कूटी से रोज स्कूल जाती है। उसका स्कूल घर से थोड़ा दूर एक गांव में है। एक दिन जब वह स्कूल से घर जा रही थी शाम के समय तो कुछ बदमाश रास्ते में उसे रोककर कुछ सवाल जवाब करने लगे जब उषा उन लोगो को ignore करके आगे बढ़ी तो बदमाश पीछे से आकर उसके गले से चैन छीन कर भाग जाते है।

जब उषा चिल्लाने लगती है तो आस पास के लोग उसे देखर चोर को पकड़ने कि कोशिश करते हैं और चोर को पकड़ लिया जाता है। उषा वहीं पुलिस को फोन कर बुला लेती है और पुलिस उन लोगो को गिरफ़्तार कर लेती है।  जब उन बदमाशों को कोर्ट में पेश किया जाता है तो न्यायालय उन्हे उचित दंड देकर और आर्थिक जुर्माना लगा कर दंडित तथा दोबारा ऐसा ना करने की सलाह देती है।

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आईपीसी धारा 356 में सजा का प्रावधान (Punishment in IPC Section 356 in Hindi)

भारतीय दंड संहिता कि धारा 356 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति की सम्पत्ति को चोरी करता है जब वह सम्पत्ति उस व्यक्ति द्वारा पहनी हुई हो या लिऐ जा रही हो तो ऐसे व्यक्ति को 2 वर्ष की कारावास या आर्थिक जुर्माना लगा कर दंडित किया जाता है।

यह एक संज्ञेय अपराध है। यह काफ़ी दंडनीय अपराध है और एक बड़ा अपराध भी माना जाता है, इसमें किसी व्यक्ति को चोट लगने की संभावना भी रहती है।

आईपीसी धारा 356 में जमानत का प्रावधान (Bail in IPC Section 356 in Hindi)

भारतीय दंड संहिता कि धारा 356 के अनुसार किसी व्यक्ति की सम्पत्ति को चोरी करने के अपराध में 2 वर्ष की कारावास की सजा सुनाई जाती है। धारा 356 एक ज़मानती अपराध है, इसमें आरोपी को ज़मानत मिल जाती है। ऐसे मामलों में आरोपी का पुराना इतिहास और अपराध की गंभीरता को देखकर सजा सुनाई जाती है।

अगर आरोपी उच्च न्यायालय में ज़मानत की याचिका दायर करता है तो उसकी याचिका को स्वीकार कर लिया जाता है। इसे इतनी बड़ी भी सजा नही मानी गयी है कि किसी को जमानत ही ना मिले।

 Note:  किसी भी आरोपी को ज़मानत लेने के लिए एक वकील की ज़रूरत तो लगती ही है जो उसे आसानी से ज़मानत दिलवा सकता हो। किसी भी अपराध में एक ऐसे वकील को नियुक्त करना चाहिए जो पहले से ही अपने क्षेत्र में निपुण हो, जिसने ऐसे बहुत से केस सुलझाए हो।

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आईपीसी धारा 356 के मामले में केस कैसे दर्ज करवाए।

कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि कुछ चोरी हो जाने या बाजार में मोबाइल चोरी हो जाने पर जब एफआईआर के लिए थाने जाते हैं तो पुलिस एफआईआर दर्ज करने में आनाकानी करती है। वैसे, संज्ञेय अपराध में एफआईआर दर्ज करना पुलिस की ड्यूटी है और सीआरपीसी में इसके लिए प्रावधान है।

इसके बावजूद अगर पुलिस गंभीर मामले में केस दर्ज न करे तो क्या रास्ता बचता है। कानूनी जानकार बताते हैं कि ऐसा कोई भी अपराध जो संज्ञेय है, उसमें पुलिस को FIR दर्ज करनी होगी। पुलिस कोई बहाना नहीं बना सकती।

फिर भी अगर मना करे तो – अगर थाने में की गई शिकायत के बावजूद केस दर्ज न हो तो शिकायती 15 दिनों के भीतर जिले के पुलिस चीफ यानी डीसीपी या राज्यों में एसपी के सामने शिकायत कर सकता है। इस शिकायत की रिसीविंग लेनी होती है। शिकायत डाक के जरिये भी डीसीपी को भेजी जा सकती है या ईमेल भी किया जा सकता है।

इसके बावजूद अगर केस दर्ज न हो तो शिकायत की कॉपी के साथ शिकायती सीआरपीसी की धारा-156 (3) के तहत इलाका मैजिस्ट्रेट के सामने शिकायत कर सकता है। 

 Note:  दोस्तों ये सब अपराध से बचने का एक ही रास्ता है की आप इसतरह का गुनाह न करे यानी की आप किसी चीज की चोरी न करे अगर साफ़ साफ़ सब्दो में कहे तो आप इस तरह का अपराध न करे क्यूंकि ऐसे अपराध करने से आपको बहुत नुक्सान होता है। खेर आप एक अच्छे इंसान बनने का कोसिस करे आपके लिए सबसे अच्छा होगा।

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इस आर्टिकल में हमने आपको बताया कि आईपीसी धारा 356 क्या है (What is IPC 356 in Hindi) आईपीसी धारा 356 में सजा और जमानत कैसे होती है (How is punishment and bail in IPC section 356 in Hindi) कैसे धारा 356 में अपराध होता है। कैसे इसमें केस दर्ज होता है, सब कुछ विस्तार से बताया। और क्यों न इसकी जानकारी सभी लोगो को होनी चाहिए फिर चाहे वो कोई वकील हो या फिर कोई आम नागरिक हो।

क्योंकि यदि आपके पास इसकी जानकारी है तो आप किसी को भी कानून का पाठ पढ़ा सकते है। कई बार हमारे जीवन मे भी कुछ ऐसी घटनाएं हो जाती है जिसके कारण हमें इन सभी बातों का ज्ञान होना आवश्यक है।

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