दोस्तों आज की इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि आईपीसी धारा 375 क्या है। (What is IPC Section 375 in Hindi), कैसे इसमें सजा और जमानत होती है। (How is punishment and bail in IPC section 375 in Hindi) यह धारा क्या कहती है। (What does IPC section 375 says in Hindi), सब कुछ विस्तार से जानेंगे तो आपको यह आर्टिकल अन्त तक पढ़ना है।
महिलाओं पर बरसो से अत्याचार होता आया है और हो रहा है। अक्सर सुनने को मिलता है कि किसी व्यक्ति ने किसी महिला के साथ छेड़छाड़ या उसका रेप किया, यह भारत में आए दिन होता रहता है, इसका ऐसा कोई कड़ी से कड़ी सजा नहीं है, जिससे रेप करने वाला व्यक्ति डर जाए और दोबारा ऐसा करने का सोचे नहीं, महिलाए कहीं भी सुरक्षित नहीं है अपने घर में भी नहीं और अगर महिला के साथ अगर कुछ हो जाता है तो भी गलती महिला की बता दी जाती है।
आज हम आपको ऐसी ही एक धारा के बारे में बताएंगे और जानेंगे कि कैसे किसी महिला का बलात्कार करने पर क्या सजा दी जाती है। भारतीय दंड संहिता में इसके क्या प्रावधान है। सब कुछ विस्तार से जानने कि कोशिश करेंगे। बस आप आर्टिकल लास्ट तक पढ़ते रहना।
आईपीसी धारा 375 क्या है। (What is IPC Section 375 in Hindi)
भारतीय दंड संहिता कि धारा 375 के अनुसार, जब कोई व्यक्ति किसी महिला के साथ छेड़छाड़ करता है, उसकी इच्छा के विरुद्ध या उसे डरा कर या किसी महिला को दिमागी रूप से कमजोर बता कर या महिला के शराब या नशीले पदार्थ के कारण होश में ना होने पर संभोग करता है तो उसे बलात्कार माना जायेगा।
अगर महिला 16 से कम उम्र की है तो उसकी बिना सहमति या सहमति से संभोग होगा तो वह भी बलात्कार ही माना जाएगा फिर चाहे संभोग की क्रिया पुरी हुई हों या नहीं वह बलात्कार ही माना जाता है। धारा 375 में केवल पुरुष द्वारा महिला का बलात्कार करने के बारे में बताया गया है।
एक महिला के शरीर के किसी भी हिस्से को तोड़-मरोड़ कर उस महिला के योनि, गुदा या शरीर के किसी भी भाग में प्रवेश कराता है या उस महिला को उसके साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा करने के लिए कहता है; या
अपने मुंह को एक महिला के योनि या गुदा, पर लगाता है या उस महिला को उसके साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा करने के लिए इनमें में से किसी एक प्रकार की परिस्थिति में कहता है:-
- उस स्त्री की इच्छा के विरुद्ध।
- उस स्त्री की सहमति के बिना।
- उस स्त्री की सहमति से जबकि उसकी सहमति, उसे या ऐसे किसी व्यक्ति, जिससे वह संबंध है, को मॄत्यु या चोट के भय में डालकर प्राप्त की गई है।
- उस स्त्री की सहमति से, जबकि वह पुरुष यह जानता है कि वह उस स्त्री का पति नहीं है और उस स्त्री ने सहमति इसलिए दी है कि वह विश्वास करती है कि वह ऐसा पुरुष है। जिससे वह विधिपूर्वक विवाहित है या विवाहित होने का विश्वास करती है।
- उस स्त्री की सहमति के साथ, जब वह ऐसी सहमति देने के समय, किसी कारणवश मन से अस्वस्थ या नशे में हो या उस व्यक्ति द्वारा व्यक्तिगत रूप से प्रबन्धित या किसी और के माध्यम से या किसी भी बदतर या हानिकारक पदार्थ के माध्यम से, जिसकी प्रकृति और परिणामों को समझने में वह स्त्री असमर्थ है।
- उस स्त्री की सहमति या बिना सहमति के जबकि वह 18 वर्ष से कम आयु की है।
- उस स्त्री की सहमति जब वह सहमति व्यक्त करने में असमर्थ है।
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Example: मान लीजिये की एक गांव में पतलू रहता है और वो अपने गाँव में काम करता है लेकिन एक दिन वो जब काम करने के लिए जाता है तो वो जहाँ काम करता है उसी घर में एक महिला रहती है तो पतलू जब उसे देखता है तो उसके मन में गलत ख़याल आने लगते है और पतलू उस महिला के साथ जबरदस्ती संभोग कर लेता है.
लेकिन जब वो महिला पुलिस station जाती है पतलू के खिलाफ केस करने तो police case दर्ज करके पतलू को गिरफ्तार कर लेती है और फिर उसे court में पेस करती है और कोर्ट उसे आजीवन कारावास और आर्थिक जुर्माना लगा कर कठीन सजा देकर दण्डित करती है।
धारा 375 में सजा का प्रावधान (Punishment in IPC section 375 in Hindi)
भारतीय दंड संहिता कि धारा 375 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी महिला के साथ छेड़छाड़ करता है, उसकी इच्छा के विरुद्ध या उसे डरा कर या किसी महिला को दिमागी रूप से कमजोर बता कर या महिला के शराब या नशीले पदार्थ के कारण होश में ना होने पर संभोग करता है।
तो ऐसे व्यक्ति को 10 वर्ष या आजीवन कारावास और आर्थिक जुर्माना लगा कर कठीन दंड दिया जाता है। आरोपी को जुर्माना उसकी हैसियत देख कर दिया जाता है, आरोपी का पुराना इतिहास और किए गए जुर्म की गंभीरता देख कर आरोपी को सजा सुनाई जाती है, ताकि वो दोबारा ऐसा जुर्म करने का भविष्य में सोचे भी नहीं।
धारा 375 में जमानत का प्रावधान (Bail in IPC Section 375 in Hindi)
भारतीय दंड संहिता के अनुसार यह एक गैर जमानती अपराध है। ऐसे अपराध में किसी भी आरोपी को ज़मानत मिलना मुश्किल होता है और अगर ज्यादा गंभीर जुर्म हो तो जमानत को निरस्त कर दिया जाता है।
किसी महिला के छेड़छाड़ करना उसकी मर्जी के खिलाफ या कोई नशीला पदार्थ पिलाकर उससे जबरदस्ती करना एक गंभीर अपराध है। ऐसे में आरोपी को ज़मानत नही दी जाती है।
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धारा 375 में एक वकील की ज़रूरत क्यों होती है।
यह एक गैर जमानती अपराध है तो किसी भी आरोपी को बचाने के लिए एक वकील की ज़रूरत होती है। ऐसे मामलों में आरोपी को निर्दोष साबित करना मुश्किल होता है तो एक वकील ही ऐसी कठीन परिस्थिति से बचा सकता है जो अपने क्षेत्र में निपुण हो। ऐसे मामलों में किसी भी आरोपी को आजीवन कारावास होती है जहां उसे बचा पाना असम्भव होता है।
और बलात्कार जैसे बड़े मामलों में ऐसे किसी वकील को नियुक्त करना चाहिए जो कि ऐसे मामलों में पहले से ही पारंगत हो, और धारा 375 जैसे मामलों को उचित तरीके से सुलझा सकता हो। जिससे आपके केस को जीतने के अवसर और भी बढ़ सकते हैं।
Note: IPC Section 375 in Hindi इस धारा से बचने का तरीका यह है कि किसी भी महिला के साथ कोई छेड़छाड़ ना करें और अगर कोई महिला आप पर यकीन करती है तो उसके यकीन को ना तोड़े, बल्कि उसका सम्मान करें।
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इस आर्टिकल में हमने आपको बताया कि कैसे किसी महिला के साथ छेड़छाड़ करने पर क्या सजा होती है। कैसे इसमें जमानत मिलना मुश्किल होता है। (How is punishment and bail in IPC section 375 in Hindi) हम उम्मीद करते हैं आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और लाभकारी साबित हुआ होगा अगर आपको पसंद आया है तो अपने साथियों के साथ जरूर शेयर करें।