दोस्तों आज की इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि आईपीसी धारा 377 क्या है। (What is IPC Section 377 in Hindi), आईपीसी धारा 377 में कैसे सजा होती है, आईपीसी धारा 377 कैसे इसमें जमानत होती है। (How is punishment and bail in IPC section 377 in Hindi) यह धारा क्या कहती है। (What does IPC section 377 says in Hindi), सब कुछ विस्तार से जानेंगे बस आप आर्टिकल लास्ट तक पढ़ते रहना।
आज के आर्टिकल में हम एक बहुत ही महत्वपूर्ण धारा के बारे में जानने जा रहे हैं ,यह धारा अगर कोई व्यक्ति अप्राकृतिक रूप से यौन संबंध बनाता है तो उसे किस कारण सजा होगी यह जानने वाला कानून ही 377 धारा कहलाता है, कहने के लिए तो यह बहुत ही संक्षिप्त में समझा जा सकता है, किंतु इसे हमें विस्तार से समझना अत्यंत आवश्यक है इसमें हमें हमारी सुरक्षा के बारे में जानकारी मिलती है, इसका इस्तेमाल कब हम लोग कर सकते हैं।
हम सभी लोगों को इन कानूनों के बारे में जानना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि इनमें हम अपने लोगों की सुरक्षा भी करते हैं और अपने अधिकारों के बारे में जानते और समझते भी हैं इसीलिए आज हम IPC Section 377 के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जो आपकी सुरक्षा के लिए लगाए जाते हैं और आप को सुरक्षा प्रदान करने में भी मदद करते हैं किसी भी प्रकार का गलत कार्य हो रहा हो तो क्या करें ?
आज का यह आर्टिकल बहुत ही महत्वपूर्ण है अगर आप कानून के विद्यार्थी हैं और आगे भी चाहते हैं कि आप कानून की पढ़ाई करें और कानून के प्रति अपना कैरियर बनाए तो यह आपके लिए बहुत जरूरी विषय है आज के आर्टिकल IPC Section 377 के बारे में विस्तार से जानेंगे अगर आप भी आईपीसी की धारा 377 के बारे में जानना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को पूरा एवं ध्यान पूर्वक अवश्य पढ़ें।
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आईपीसी धारा 377 क्या है। (What is IPC Section 377 in Hindi)
अब हम IPC 377 के विषय में बहुत ही आसान शब्दों में समझेंगे और जानेंगे , इस आर्टिकल के माध्यम से आपको आईपीसी 377 के विषय में बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी, तो सबसे पहले हम जानेंगे कि इस आर्टिकल में हम किस -किस विषय पर चर्चा करेंगे , सबसे पहले आईपीसी की धारा 377 क्या है ? और किस अपराध के बाद आपके ऊपर इसके तहत मुकदमा चलाया जाएगा ? यह हमारे लिए जरूरी क्यों है?
आईपीसी की धारा कोई नई धारा नहीं है यह लगभग 150 साल पुरानी समय से चलती आ रही है या महारानी विक्टोरिया के तौर से यह कानून चलाया जा रहा है किंतु अभी तक इसे अच्छे से हम समझ नहीं पाते हैं इसीलिए आपको इसके बारे में, मैं आगे बताने जा रही हूं!
अगर कानून की भाषा में बोले तो धारा 377 भारतीय दंड संहिता का एक हिस्सा है , भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 के तहत 2 लोग आपसी सहमति या असहमति से अप्राकृतिक संबंध बनाते हैं और अगर उनमें से कोई भी एक दोषी माना जाता है तो उनको 10 साल की सजा से लेकर उम्र कैद की सजा तक हो सकती है यह अपराध की श्रेणी में आता है और गैर जमानती है।
अगर इसे आम भाषा में कहें तो अगर लड़का या लड़की दो लोग अगर प्यार करते हैं और एकांत में आपसी संबंध बनाते हैं और कोई भी एक असमर्थ है वह दूसरे को दोषी पाते हुए उसे 10 साल की सजा से लेकर उम्र कैद की सजा तक हो सकती है यह बहुत ही कड़ा कानून है यह कानून अपराध की श्रेणी में तो आता ही है किंतु इस कानून में जेल हो जाने के बाद अपराधी को कोई भी जमानत नहीं मिल सकती है। किंतु अगर दो व्यस्त आपसी सहमति से यौन संबंध बनाते हैं तो उसे धारा 377 से बाहर कर देना चाहिए।
यह धारा सबसे पहले हमारे देश भारत में नहीं बल्कि यह धारा सबसे पहले ब्रिटेन में 1861 में लाया गया था तथा लोगों के द्वारा अपील की गई थी क्योंकि उस समय यह बहुत ही दंडीय अपराध के रूप में माना जा रहा था , जो कि हम लोगों को इंसाफ दिलाने वाला एक बहुत ही अच्छा कानून है।
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किंतु बहुत ही दुख की बात है कि यह उस समय भारत में यह कानून नहीं लाया गया था भारत में इस कानून के बारे में चर्चा 2009 से शुरू हुई और यह शुरुआत यहां के सेक्स वर्करों ने की सेक्स वर्कर के लिए काम करने वाली संस्था नाज फाउंडेशन ने दिल्ली हाई कोर्ट में यह कहते हुए इसके संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाया था कि अगर दो व्यक्त आपसी सहमति से एकांत में यौन संबंध बनाते हैं तो उसे IPC Section 377 के प्रावधान से बाहर किया जाना चाहिए।
दिल्ली हाईकोर्ट इस पर फैसला लेते हुए सुनवाई की कि दो व्यक्ति आपसी सहमति से एकांत में अगर संबंध बनाते हैं तो वह आईपीसी की धारा 377 के तहत अपराध नहीं माना जाएगा तो इसी दौरान कोर्ट ने नागरिकों के समानता के अधिकारों की भी बातें कही थी। High Court कानून को ही ना मानने का अधिकार दे दिया किंतु यह फैसला लोगों को पसंद नहीं आया और यह मुद्दा बनकर सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा सुप्रीम कोर्ट जाते ही यह फैसला हाईकोर्ट का बिल्कुल पलट गया।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हाईकोर्ट के उस फैसले को मैं खारिज करता हूं कि जब तक 370 की धारा रहेगी तब तक समलैंगिक संबंधों को वैध नहीं ठहराया जा सकेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समलैंगिकता मामले में उम्र कैद की सजा के प्रावधान के कानून को बहाल रखा जाएगा तथा यह अपराधी माना जाएगा, किंतु कुछ मुकदमा और कुछ सालों के बाद फिर से सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला पलट कर 377 को आपसी मंजूरी से यौन संबंध को IPC 377 से हटा दिया गया।
तथा अपराध की श्रेणी से भी हटा दिया गया। यह कानून बहुत ही सरल एवं सीधा है किंतु य या बहुत दिनों तक मुद्दा का विषय ही बना रहा। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला पुनः बदलते हुए समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया तथा पांच जजों की सहमति से करीब 55 मिनट की सुनवाई के बाद धारा 377 को रद्द कर दिया गया तथा यह भी कहा कि धारा 377 को मनमानी बताते हुए LGBT समुदाय को भी इसका समान अधिकार मिलेगा।
तथा योन प्राथमिकता बायोलॉजिकल और प्राकृतिक है इसमें राज्य को दखल नहीं देना चाहिए तथा कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी भी तरह का भेदभाव मौलिक अधिकारों का हनन होगा। यह केवल धारा 377 संविधान के समानता के अधिकार का ही नहीं बल्कि आर्टिकल 14 का भी हनन करता है।
IPC 377 में सजा का क्या प्रावधान है?
जैसे कि आगे के कुछ अंशों में मैंने इसका जिक्र किया था कि इसके तहत आपको 10 साल से उम्र कैद तक की सजा हो सकती है।
IPC 377 में बेल हो सकती है या नहीं?
आगे के अंशों को पढ़कर आपको समझ में आया होगा कि यह बहुत ही कड़ा कानून है इसमें जमानत का कोई भी प्रावधान नहीं है अगर किसी भी व्यक्ति को किसी 377 के तहत जुर्म करार देते हुए पकड़ा जाता है तो उसे जमानत मिलना बहुत ही मुश्किल है।
आईपीसी 377 की धरा से कैसे बच सकते है
आईपीसी 377 की धारा से तो सबसे पहले हम यह जुर्म नहीं कर के बच सकते हैं। अगर फिर भी किसी ने आप पर कोई झूठा इल्जाम लगाया है तो आप अच्छे वकील के द्वारा अपने पक्ष में कोर्ट पर रखें और अपनी वकील को अपनी सारी बातें बताएं ताकि वकील आपकी बातों और आपकी कहानी के जरिए आपके पक्ष को कोर्ट के सामने ला पाए और आपके ऊपर लगाए गए इल्जाम से आपको बचा पाए तथा सबूत जुटाकर अदालत में पेश कर पाए और उसके तहत आप को बेल मिल सकती है।
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Conclusion
आज के इस आर्टिकल में हमने बहुत ही महत्वपूर्ण धारा के बारे में जाना है आज इस आर्टिकल से हमने आईपीसी की धारा 377 की बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारियों को जाना और समझा है इस आर्टिकल में हमने आई पी एस सी की धारा 377 को समझा और मुझे उम्मीद है कि इस आर्टिकल को पढ़कर आपको आईपीसी धारा 377 क्या है। (What is IPC Section 377 in Hindi), आई पी एस सी की धारा 377 में क्या प्रावधान है।
पहले किस तरह से अपराध की श्रेणी में था बाद में किस तरह से अपराध की श्रेणी से हटाया गया और मुद्दा बनते हुए किस तरह से या अभी भी एक हमको बहुत ही महत्वपूर्ण अधिकार देता है।
मुझे उम्मीद है कि इस आर्टिकल को पढ़कर आपको आईपीसी की धारा 377 की जानकारी मिल गई होगी अगर आपके मन में कोई भी प्रश्न है तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं और अगर आपको कोई हमारा आर्टिकल पसंद आया तो हमारे आर्टिकल को शेयर जरूर करें ताकि सभी लोगों तक इस धारा की पर पहुंच सकें अगर आप हमारे आर्टिकल के संबंध में राय देना चाहते हैं तो जरुर हमें कमेंट करें।