IPC 38 in Hindi – आईपीसी की धारा 38 क्या है? पूरी जानकारी

दोस्तों आज की इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि भारतीय दंड संहिता की धारा 38 क्या है (What is IPC section 38 in Hindi), कैसे इसमें अपराध होता है, क्या सजा सुनाई जाती है, (How is punishment and bail in IPC section 38 in Hindi) वकील की ज़रूरत लगती है या नहीं, भारतीय दंड संहिता की धारा 38 क्या कहती है (What does IPC section 38 says in Hindi), सब कुछ विस्तार से जानेंगे।

दोस्तों बहुत बार हमने ये सुना है की एक अपराध को करने के पीछे बहुत से लोगो का दिमाग लगा होता है मतलब एक अपराध को कई लोग मिल कर अंजाम देते है। तो इस तरह के अपराध में सजा कैसी मिलेगी ? क्या पूरे समूह के लोगो को  एक ही सजा मिलेगी या सबको अलग अलग सजा सुनाई जाएगी। तो दोस्तों आपको इतना सोचने की जरुरत नहीं है क्यूंकि इसके लिए ही हम आज एक ऐसी धारा के बारे में बताने जा रहे है।

IPC 38 in Hindi

जो इसी तरह के अपराध के लिए बनाई गयी है। इस तरह के अपराध के लिए बनाया गयी धारा है भारतीय दंड संहिता की धारा IPC Section 38। तो आज हम इसी के बारे में बात करेंगे। तो आइये जानते है इसके बारे में आज की ये जानकारी बहुत इम्पोर्टेन्ट है, इसलिए आप ये आर्टिकल को पूरा End तक पढ़ें ताकि आपको ये समझ आ सके।

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आईपीसी की धारा 38 क्या है (What is IPC Section 38 in Hindi)

भारतीय दंड संहिता की धारा 38 के अनुसार, जहां कई व्यक्ति किसी आपराधिक कार्य को करने में लगे हुए या सम्पॄक्त हैं, वहां वे उस कार्य के आधार पर विभिन्न अपराधों के दोषी हो सकेंगे। 

अब इसे थोड़ा आसान तरीके से समझते है- जब कभी एक क्रिमिनल ACT (कार्य) होता है और अगर उस ACT में कई लोग शामिल है या शामिल थे, मतलब की एक क्रिमिनल ACT को कई लोगो ने मिल कर किया है तो वो लोग अलग अलग अपराध के दोषी हो सकते है।

उस ACT (कार्य) के अनुसार जो ACT हुआ है या उस ACT के अनुसार जो ACT उन्होंने किया है तो उस हिसाब से उनको अपराधी घोषित कर सजा दी जाएगी। ये जरुरी नहीं है की सारे के सारे लोग एक ही अपराध के लिए दोषी हो, वो अलग अलग अपराधों के लिए दोषी हो सकते है अब ये Depend करता है वो पुरे ACT के ऊपर।

 Example:  मानलो कोई एक क्रिमिनल एक्ट हुआ जिसमे किसी A नाम के व्यक्ति ने Z नाम के व्यक्ति को मारा या फिर उस पर हमला किया, लेकिन A ने तभी उस Z व्यक्ति को मारा या फिर उस पर हमला किया जब Z ने A को उकसाया था। Z ने A व्यक्ति को इतना उकसाया के उस A व्यक्ति से वो CONTROL ना हो सका और इसके बाद ही A ने Z को मारा या तभी A ने Z पर हमला किया।

अब वहीं कहीं से एक व्यक्ति आया B नाम का, अब ये B का Z से पहले से दुश्मनी है और उसका इरादा Z को मारने का पहले से ही था और जब B ने देखा की A व्यक्ति Z को मार रहा है तो वो भी मतलब B व्यक्ति ने सोचा की वो भी Z को मार दे , जबकि इस केस में B को किसी ने नहीं उकसाया है।

B ने A की मदद की Z को मरने में दोनों ने मिलकर मारा है। तो B को दोषी मर्डर और A को Culpable One Side का दोषी माना जायेगा क्यूंकि A ने तभी मारा जब उसे इतना उकसाया की उससे वो CONTROL ना हो सका। और B ने अपनी दुश्मनहि निकालने के लिए उसे मारा।

 Note:  IPC की इस धारा 38 के अंतर्गत ये बताया गया है, कि जहां कई व्यक्ति किसी आपराधिक कार्य को करने में लगे हुए या सम्पॄक्त हैं, वहां वे उस कार्य के आधार पर विभिन्न अपराधों के दोषी हो सकेंगे।

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Conclusion

आशा है की आपको आईपीसी धारा 38 क्या है? इससे सम्बंधित बहुत सी जानकारी आपको हुई होगी और साथ ही IPC की धारा 38 क्या कहती है? (What does section IPC 38 says in Hindi). इसकी जानकारी भी आपको मिल गयी होगी।

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