हैलो दोस्तों, स्वागत है हमारे आज के ब्लॉग मे। आज हम बात करेंगे आईपीसी धारा 45 क्या होती है। (What is IPC section 45 in Hindi), आईपीसी धारा 45 कैसे इसमें सजा सुनाई जाती है, आईपीसी धारा 45 में कैसे जमानत होती है। (How is punishment and bail in IPC section 45 in Hindi) यह धारा क्या कहती है। (What does IPC section 45 says in Hindi), सब कुछ विस्तार से जानेंगे इसलिए आप ये आर्टिकल लास्ट तक पढ़ते रहना।
दोस्तों इसके पहले हमने पढ़ा था और समझा था हमारे भारत के भारतीय दंड संहिता (Indian Panel Code) के बारे में, कि भारतीय दंड संहिता क्या है? इसमें सजा के क्या प्रावधान है? ठीक उसी तरह आज हम जानेंगे IPC -45 के बारे मे। दोस्तों अक्सर बहुतों के मन में ये सवाल आता है कि हमारे न्याय प्रक्रियाएं क्या है? उसके अंतर्गत आने वाले धाराएं कौन-कौन सी है? उसमे दोषी को सजा क्या मिलेगी।
सही पूछों तो आज के समय हर चीज का ज्ञान होना जरुरी है, हमारे देश, संस्कृति, नियम – कानून, न्याय प्रक्रिया, मौलिक अधिकार, भारतीय दंड संहिता आदि के बारे में भी जानकारी होना बहुत ही ज्यादा आवश्यक है। आप हमारे इस ब्लॉक्स के जरिये बड़ी आसानी से समझ सकते हो भारतीय दंड संहिताओं के बारे में।
क्या है IPC 45 – दोस्तों जब कभी भी अपराध होता है, तो उसमे अपराधी को उसके जुर्म के आधार पर न्यायधीश द्वारा सजा सुनाई जाती है। मगर कानून सबसे पहले ये देखता है की भले ही प्रक्रिया लम्बी हो जाये मगर किसी बेगुनाह को सजा ना मिले, क्यूंकि दोस्तों भले ही दोषी को सजा मिलने में देरी हो जाये तो उसे अंत में तो सजा सुनाएंगे ही मगर किसी निर्दोष को सजा हो गयी तो उसका भुगतान करना मुश्किल भी हो सकता है।
दोस्तों हमारे भारीतय दंड संहिता में जिस धारा-45 का उल्लेख किया गया है वो सीधा-सीधा ” जीवन ” को दर्शाता है, मानव के जीवन को।
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आईपीसी धारा 45 क्या होती है (What is IPC Section 45 in Hindi)
IPC Section 45 के अनुसार, जब तक कि संदर्भ से तत्प्रतिकूल प्रतीत न हो, जीवन शब्द मानव के जीवन का द्योतक है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 45 – Indian Penal Code Section 45 के अनुसार, जब तक कि संदर्भ से तत्प्रतिकूल प्रतीत न हो, जीवन शब्द मानव के जीवन का द्योतक है। आसान भाषा में कहें तो इसका मतलब ये है कि, ये सीधा सीधा मानव के जीवन को इंगित करता है।
ये सिर्फ सिर्फ मानव के जीवन को समझ के चलेगा अगर कहीं पर सिर्फ जीवन लिखा हो। मान लीजिये की पुरे IPC में लिखा है Life / जीवन तो ये सिर्फ इंसान के जीवन को दर्शायेगा। अगर लिखा है कि कोई जानवर, पक्षी, या कोई विशेष जिव को लिखा गया है तब उस स्थिति में उस जिव के जीवन को लिया जायेगा। मगर, यदि पुरे IPC में कहीं पर भी सिर्फ “जीवन” बस लिखा गया है, तो उस वक़्त ये “जीवन” सिर्फ और सिर्फ मनुष्य के जीवन को माना जायेगा।
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आशा है की आपको आआईपीसी धारा 45 क्या है। (What is IPC Section 45 in Hindi), आईपीसी धारा 45 में कैसे सजा होती है, आईपीसी धारा 45 कैसे इसमें जमानत होती है। (How is punishment and bail in IPC section 45 in Hindi) इससे सम्बंधित बहुत सी जानकारी आपको हुई होगी और साथ ही IPC की धारा 47 क्या कहती है? इसकी जानकारी भी आपको मिल गई होगी।
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