आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि भारतीय दण्ड संहिता की धारा 117 क्या है (What is IPC section 117 in Hindi), आईपीसी धारा 117 में कैसे अपराध होता है, कितनी सजा सुनाई जाती है, जमानत होती है या नहीं, जमानत होती है तो कैसे होती है, वकील की ज़रूरत कब लगती है, इस अपराध को करने से कैसे बचा जा सकता है। यह भारतीय दण्ड संहिता की धारा 117 क्या कहती है (What does IPC section 117 says in Hindi), सब कुछ विस्तार से समझाने की कोशिश करेंगे।
समाज में ऐसे बहुत से लोगों के समूह होता है जिनका काम समाज में दंगे करवाना या कोई सामाजिक कार्य हो रहा हो तो उसमें अड़चन पैदा करना या अन्य किसी लोगों को उकसाना कुछ गलत कार्य करने के लिए या लोगों को एक दूसरे के खिलाफ भड़का कर दंगे करवाना उनका मकसद होता है। कोई कुछ अच्छा कर रहा हो समाज के लिए तो उसे कुछ भी करने से रोकना और बाकियों को भी कुछ अच्छा करने से रोकना, ऐसे ही लोग समाज में तरक्की नहीं होने देते।
तो आज हम ऐसे ही एक धारा के बारे में जानेंगे और देखेंगे कि लोक साधारण द्वारा या दस से अधिक व्यक्तियों द्वारा अपराध किए जाने का दुष्प्रेरण करने पर क्या होता है। यह सभी बातें हम भारतीय दण्ड संहिता की धारा 117 में समझाने कि कोशिश करेंगे तो आपको यह आर्टिकल अन्त तक पढ़ना है।
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भारतीय दण्ड संहिता की धारा 117 क्या है (What is IPC Section 117 in Hindi)
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 117 के अनुसार कोई भी लोक साधारण द्वारा या दस से अधिक व्यक्तियों की किसी भी संख्या या वर्ग द्वारा किसी अपराध के किए जाने का दुष्प्रेरण करेगा, वह दोनों में से किसी भी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
Illustration क एक लोक स्थान में एक कागज चिपकाता है, जिसमें एक समूह को जिसमें दस से अधिक लोग हैं, एक विरोधी समूह के सदस्यों पर जब की वो समूह के लोग वे जुलूस निकालने में लगे हुए हों, आक्रमण करने के योजन से किसी निर्धारित समय और स्थान पर मिलने के लिए उकसाया गया है। क ने इस धारा में बताया गया अपराध किया है, जिसके लिए उसे इस धारा में बताए गए द्वारा सजा से दण्डित किया जाएगा।
धारा 117 में सजा का प्रावधान (Punishment in IPC section 117 in Hindi)
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 117 के अनुसार कोई भी लोक साधारण द्वारा या दस से अधिक व्यक्तियों की किसी भी संख्या या वर्ग द्वारा किसी अपराध के किए जाने का दुष्प्रेरण करेगा, वह दोनों में से किसी भी भांति के कारावास से जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
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धारा 117 में जमानत का प्रावधान (Bail in IPC Section 117 in Hindi)
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 117 के अनुसार यदि किसी भी लोक स्थान पर दस से अधिक व्यक्तियों द्वारा किसी भी अपराध करने का दुष्प्रेरण करेगा, उसे तीन वर्ष की कारावास और आर्थिक जुर्माना लगा कर दंडित किया जाएगा।
इस अपराध में किसी भी आरोपी को ज़मानत अपराध करने की गंभीरता के अनुसार दी जाती है यदि अपराध में किसी की मौत हो जाती है तो जमानत मिलना मुश्किल हो जाता है। यदि अपराध ज्यादा गंभीर ना हो तो जमानत मिल जाती है।
वकील की ज़रूरत कब लगती है।
किसी भी आरोपी को ज़मानत लेने के लिए एक वकील की ज़रूरत लगती है। यदि अपराध जमानती है तब भी और अगर जमानती नहीं है तब भी, एक वकील ही आरोपी को आसानी से जमानत दिलवा सकता है। किसी भी आरोपी को ज़मानत लेने के लिए एक ऐसे वकील को नियुक्त करना चाहिए जो पहले से अपने क्षेत्र में निपुण हो और आरोपी को आसानी से निर्दोष साबित कर जमानत दिलवाने में मददगार साबित हो सकता हो।
Note: इस अपराध से बचने का तरीका यह है कि किसी को कुछ भी गलत काम करने के लिए नहीं उकसाए। यदि कोई कुछ अच्छा करता है समाज के लिए तो उसका हौसला बढ़ाए।
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Conclusion
इस आर्टिकल में हमने आपको बताया कि लोक साधारण द्वारा या दस से अधिक व्यक्तियों द्वारा अपराध किए जाने का दुष्प्रेरण करने पर क्या होता है। यह सभी बातें हमने आपको भारतीय दण्ड संहिता की धारा 117 (IPC section 117 in Hindi) में बहुत ही विस्तार और आसान भाषा में समझाने की कोशिश की है।
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