IPC Section 204 in Hindi – आईपीसी की धारा 204 क्या है | सजा | जमानत

आज की इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि भारतीय दंड संहिता की धारा 204 क्या हैं (what is IPC section 204 in Hindi), आईपीसी की धारा 204 में कैसे अपराध होता है, कितनी सजा होती है, (Punishment and Bail in IPC Section 204) यह अपराध जमानती है या नहीं है और अगर जमानती है तो जमानत कैसे होती है, एक वकील की जरूरत कब लगती है और इस अपराध को करने से कैसे बचा जा सकता है। यह भारतीय दंड संहिता की धारा 204 क्या कहती है (what does IPC section 204 says in Hindi), इस धारा से जुड़ी सारी जानकारी आपको बताने की कोशिश करेंगे।

कई बार ऐसा होता है कि यदि कोई ज्यादा पैसे वाला या फिर कोई बड़ा आदमी कोई अपराध करता है तो उस व्यक्ति के वकील अक्सर सबूत मिटाने का प्रयास करते हैं। जो भी सबूत होते हैं या तो उसे गायब कर देते हैं या बिल्कुल ही खत्म कर देते हैं जिससे किसी को उन सबूत के बारे में पता ना चल सके और उस व्यक्ति के खिलाफ कोई और केस ना बन सके। ऐसे काम में किसी एक व्यक्ति का हाथ नहीं होता है बल्कि कई सारे व्यक्ति मिले-जुले होते हैं तब जाके ऐसा कुछ होता है।

IPC Section 204 in Hindi

तो आज हम आपको ऐसे ही एक धारा के बारे में बताएंगे की कैसे सबूत के रूप में किसी दस्तावेज का पेश किया जाना है और उसको नष्ट कर देने पर क्या होता है। यह भारतीय दंड संहिता की धारा 204 (IPC section 204 in Hindi) से जुड़ी सारी जानकारी हम आपको इस आर्टिकल में बहुत विस्तार और आसान भाषा में समझाने की कोशिश करेंगे तो आपको यह आर्टिकल अंत तक पढ़ना है।

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आईपीसी की धारा 204 क्या है (What is IPC Section 204 in Hindi)

भारतीय दंड संहिता की धारा 204 के अनुसार जो कोई व्यक्ति किसी ऐसे दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख को छिपाएगा या खत्म करेगा जिसे किसी न्यायालय में या ऐसी कार्यवाही में जो किसी लोक सेवक के उपस्थित उसकी वैसी हैसियत में विधिपूर्वक की गई है, सबूत के रूप में पेश करने के लिए उसे विधिपूर्वक विवश किया जा सके या न्यायालय या लोक सेवक के समक्ष सबूत के रूप में पेश किए जाने से मना करने के आशय से या उसके किसी भाग को मिटाएगा या ऐसा बनाएगा जो पढ़ा न जा सके ऐसे व्यक्ति को किसी भांति की कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से दंडित किया जाएगा।

आसान भाषा में समझाने की कोशिश करें तो यदी कोई भी व्यक्ति ऐसे किसी दस्तावेज या कुछ ओर कागजात को मिटाने की कोशिश करेंगे जिनको न्यायालय में सबूत के तौर पर पेश किया जाना है किसी अपराधी के खिलाफ तो ऐसे व्यक्ति पर धारा 204 लागू होती है और इसी धारा के अनुसार उसे दंडित किया जाता है।

 Example:  विजय को किसी बड़े जुर्म के मामले में सजा सुनाई जाती हैं मगर विजय का जो वकील होता है वो उस का अच्छा दोस्त होता है तो वह विजय को बचाने की कोशिश करता है। विजय को सजा सबूत के तौर पर ही होती है, तो ऐसे में उसका वकील सबूत मिटाने की कोशिश करता है। किसी दिन उसके वकील को पता लगता है कि विजय के खिलाफ जो सबूत है वे किसी मजिस्ट्रेट के विभाग में रखे हुए है तो वह कोशिश करता है कि सबूत किसी भी तरह उसके हाथ लग जाए ताकि वो विजय को बचा सकें।

ऐसे में वकील जहां सबूत रखें होते है वहां जाता है और किसी भी तरह अन्दर जाकर सबूत ढूंढता है, मगर इतने में वहां मजिस्ट्रेट आ जाते है और वह देख लेते हैं तब उस वकील पर शिकायत दर्ज की जाती है और इस धारा के अनुसार दंडित किया जाता है।

आईपीसी की धारा 204 में सजा का प्रावधान (Punishment in IPC Section 204 in Hindi)

भारतीय दण्ड दंड संहिता की धारा 204 के अनुसार यदी कोई भी व्यक्ति ऐसे किसी दस्तावेज या कुछ ओर कागजात को मिटाने की कोशिश करेंगे जिनको न्यायालय में सबूत के तौर पर पेश किया जाना है ऐसे व्यक्ति को 2 साल की सजा और आर्थिक जुर्माना लगाकर दंडित किया जाता है। यह एक गैर संज्ञेय अपराध है और समझौता करने योग्य नहीं है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

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भारतीय दंड संहिता की धारा 204 में जमानत का प्रावधान (Bail in IPC section 204 in Hindi)

भारतीय दंड संहिता की धारा 204 के अनुसार यदी कोई भी व्यक्ति ऐसे किसी दस्तावेज या कुछ ओर कागजात को मिटाने की कोशिश करेंगे जिनको न्यायालय में सबूत के तौर पर पेश किया जाना है ऐसे व्यक्ति को 2 वर्ष के कारावास और आर्थिक जुर्माना लगाकर दंडित किया जाता है। यह एक जमानती अपराध है, इस अपराध में किसी भी अपराधी को आसानी से जमानत मिल जाती है।

यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं होता है और किस भी मजिस्ट्रेट द्वारा काफी विचार नहीं होता है। ऐसे में अपराधी अपनी जमानत की याचिका उच्च न्यायालय में पेश करता है तो उसकी जमानत याचिका को स्वीकार कर लिया जाता है और जमानत मंजूर कर दी जाती हैं।

वकील की जरूरत कब लगती है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 204 के अनुसार यह एक जमानती अपराध है मगर किसी भी अपराधी को जमानत लेने के लिए एक वकील की जरूरत तो लगती ही है जो उसे जमानत दिलवा सकें। ऐसे अपराधों में आरोपी को निर्दोष साबित करना काफी मुश्किल होता है तो उसे सिर्फ एक वकील ही बचा सकता है जो उसे निर्दोष साबित कर जमानत दिलवा सके। किसी भी केस को सुलझाने के लिए एक ऐसे वकील को नियुक्त करना चाहिए जो अपने क्षेत्र में निपुण हो और अपराधी को निर्दोष साबित कर उसे जमानत दिलवा ने में मददगार साबित हो सके।

 Note:  भारतीय दंड संहिता की धारा 204 से बचने के लिए आपको कभी भी अपने काम में बेमानी नहीं करनी है चाहे कोई अपना अपराध करता है या कोई गैर लोग अपराध करता है सजा सबको एक जैसा ही मिलना चाहिए कभी भी बेमानी नहीं करना चाहिए।

FAQ’s 

Q1. भारतीय दंड संहिता की धारा 204 के अनुसार क्या अपराध है?

Ans. भारतीय दंड संहिता की धारा 204 के अनुसार यदी  कोई भी व्यक्ति ऐसे किसी दस्तावेज या कुछ ओर कागजात को मिटाने की कोशिश करेंगे जिनको न्यायालय में सबूत के तौर पर पेश किया जाना हैं।

Q2. भारतीय दण्ड संहिता की धारा 204 के मामले की सजा क्या है?

Ans. भारतीय दंड संहिता की धारा 204 के मामले में 2 वृष की कारावास और आर्थिक जुर्माना दोनो का प्रावधान है।

Q3. भारतीय दंड संहिता की धारा 204 जमानती अपराध है या गैर – जमानती अपराध?

Ans. भारतीय दंड संहिता की धारा 204 एक जमानती अपराध है।

Q4. भारतीय दंड संहिता की धारा 204 संज्ञेय अपराध है या गैर – संज्ञेय अपराध?

Ans. भारतीय दंड संहिता की धारा 204 गैर संज्ञेय अपराध है।

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Conclusion

इस आर्टिकल में हमने बताया कि कैसे सबूत के रूप में किसी दस्तावेज का पेश किया जाना है और उसको नष्ट कर देने पर क्या होता है, कितनी सजा होती है, जमानत कैसे मंजूर की जाती है, कैसे एक वकील मददगार साबित हो सकता है। भारतीय दण्ड संहिता की धारा 204 (IPC section 204 in Hindi) से जुड़ी सारी जानकारी हमने आपको बहुत ही विस्तार और आसान भाषा में समझाने की कोशिश की है।

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