आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि भारतीय दण्ड संहिता की धारा 502 क्या है (What is IPC section 502 in Hindi), आईपीसी धारा 502 में कैसे अपराध होता है, कितनी साल की सजा सुनाई जाती है, जमानत होती है या नहीं, अगर जमानत होती है तो कैसे होती है, एक वकील किस तरह मददगार साबित हो सकता है, इस अपराध को करने से कैसे बचा जा सकता है। यह भारतीय दण्ड संहिता की धारा 502 क्या कहती है (What does IPC section 502 says in Hindi), सब कुछ विस्तार से समझाने की कोशिश करेंगे।
कई बार ऐसा होता है कि कई सारी फैक्टरी में जहरीली पदार्थ बनते हैं जो मनुष्य के लिए हानिकारक होते है। यदि कोई उनके संपर्क में आते हैं तो उनको कुछ गंभीर बीमारी या मौत हो सकती हैं। यह सब जानते हुऐ भी फैक्टरी का मालिक ज्यादा ध्यान नहीं देते है, लापरवाही करते है जिसके चलते कई बार बहुत नुकसान हो जाता है, जहरीला पदार्थ लोगों के संपर्क में आ जाता है और लोगों को नुकसान हो जाता है, कई सारी मौतें भी हो जाती हैं।
तो आज हम ऐसे ही एक धारा के बारे में जानेंगे और देखेंगे कि मानहानिकारक विषय रखने वाले मुद्रित या उत्कीर्ण पदार्थ को बेचने पर क्या होता है। यह सभी बातें हम भारतीय दण्ड संहिता की धारा 502 (IPC section 502 in Hindi) में बहुत ही विस्तार से समझाने कि कोशिश करेंगे तो आपको यह आर्टिकल अन्त तक पढ़ना है।
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आईपीसी धारा 502 क्या है (What is IPC Section 502 in Hindi)
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 502 के अनुसार जो कोई भी व्यक्ति किसी मुद्रित या उत्कीर्ण पदार्थ को, जिसमें मानहानिकारक विषय अन्तर्विष्ट है, यह जानते हुए कि उसमें ऐसा विषय अन्तर्विष्ट है, बेचेगा या बेचने की प्रस्थापना करेगा, ऐसे व्यक्ति को सादा कारावास से जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
जो कोई भी किसी मुद्रित या उत्कीर्ण सामग्री को बेचता है या बिक्री के लिए पेश करता है जिसमें मानहानि का मामला है, यह जानते हुए कि इसमें ऐसा मामला है।
आईपीसी धारा 502 में सजा का प्रावधान (Punishment in IPC Section 502 in Hindi)
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 502 के अनुसार जो कोई भी किसी मुद्रित या उत्कीर्ण सामग्री को बेचता है या बिक्री के लिए पेश करता है जिसमें मानहानि का मामला है, यह जानते हुए कि इसमें ऐसा मामला है। ऐसे व्यक्ति को सादा कारावास से जिसकी अवधि 2 वर्ष तक की हो सकेगी या आर्थिक जुर्माना लगा कर या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
आईपीसी धारा 502 में जमानत का प्रावधान (Bail in IPC Section 502 in Hindi)
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 502 के अनुसार यह एक जमानती अपराध है। इस अपराध में किसी भी व्यक्ति को कोई गंभीर चोट नहीं लगती या कोई माल हानी नहीं होती जिसके चलते इसे जमानती माना गया हैं। इस अपराध में किसी भी अपराधी को आसानी से जमानत मिल जाती हैं। मगर यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है। किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
एक वकील की ज़रूरत क्यों लगती हैं।
किसी भी आरोपी को ज़मानत लेने के लिए एक वकील की ज़रूरत लगती ही है, फिर चाहे अपराध जमानती हो या नहीं, हर अपराध में जमानत लेने के लिए वकील लगता ही है। उच्च न्यायालय में जमानत की याचिका वकील द्वारा पेश की जाती है, यदि अपराध जमानती हो तो उसकी याचिका को स्वीकार कर लिया जाता है। यदि जमानती नहीं हो तो उसकी याचिका को निरस्त कर दिया जाता है। किसी भी मामले को सुलझाने के लिए एक ऐसे वकील को नियुक्त करना चाहिए जो पहले से अपने क्षेत्र में निपुण हो और आरोपी को निर्दोष साबित कर आसानी से जमानत दिलवा सकता हो।
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इस आर्टिकल में हमने आपको बताया कि मानहानिकारक विषय रखने वाले मुद्रित या उत्कीर्ण पदार्थ को बेचने पर क्या होता है। इस धारा से संबंधित सारी जानकारी हमने आपको भारतीय दण्ड संहिता की धारा 502 (IPC section 502 in Hindi) में बहुत ही विस्तार और आसान भाषा में समझाने की कोशिश की है।
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