आईपीसी धारा 82 क्या है – IPC Section 82 in Hindi – पूरी जानकारी

आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि भारतीय दण्ड संहिता की धारा 82 क्या है (What is IPC section 82 in Hindi), आईपीसी धारा 82 में कैसे अपराध होता है, कितनी सजा सुनाई जाती है, (Punishment and Bail in IPC Section 82) जमानत होती है या नहीं, अगर जमानत होती तो कैसे होती है, वकील की ज़रूरत कब लगती है, इस अपराध को करने से कैसे बचा जा सकता है। यह भारतीय दण्ड संहिता की धारा 82 क्या कहती है (What does IPC section 82 says in Hindi), सब कुछ विस्तार से समझाने की कोशिश करेंगे।

जब छोटे बच्चे कोई गलती करते है तब उन्हें यह पता नहीं चलता की जो वो काम कर रहे है वो गलत है या उनके उस काम से कुछ नुकसान हो सकता है। और उन्हें उतनी समझ नहीं होती सही गलत की वो फर्क कर सकें और समझ कर कोई गलत काम ना करें। छोटे बच्चे यदि कोई गलत काम करते हैं तो हम उन्हें सिर्फ़ डाट सकते है, चेतावनी दे सकते है कि दोबारा ऐसा कोई काम नहीं करना हम उन्हें सजा नहीं दे सकते है।

IPC section 82 in hindi

तो आज हम ऐसे ही एक धारा के बारे में जानेंगे और देखेंगे कि सात वर्ष से कम आयु के शिशु का कोई कार्य जो अपराध हो तब क्या होता है। यह सभी बातें हम भारतीय दण्ड संहिता की धारा 82 (IPC section 82 in Hindi) में बहुत ही विस्तार से समझाने कि कोशिश करेंगे तो आपको यह आर्टिकल अन्त तक पढ़ना है।

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आईपीसी धारा 82 क्या है (What is IPC Section 82 in Hindi)

भारतीय दण्ड संहिता की धारा 82 के अनुसार सात वर्ष से कम आयु के शिशु द्वारा किया गया कोई भी कार्य अपराध नहीं है।

इसका सीधा अर्थ है कि 7 वर्ष से कम आयु का शिशु न ही कोई अपराध कर सकता है, न उसे उसके लिए कोई सजा दी जा सकती है।

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इस आर्टिकल में हमने आपको बताया कि सात वर्ष से कम आयु के शिशु का कोई कार्य जो अपराध हो तब क्या होता है।  इस धारा से संबंधित सारी जानकारी हमने आपको भारतीय दण्ड संहिता की धारा 82 (IPC section 82 in Hindi) में बहुत ही विस्तार और आसान भाषा में समझाने की कोशिश की है।

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