आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि भारतीय दण्ड संहिता की धारा 96 क्या है (What is IPC section 96 in Hindi), कैसे इसमें अपराध होता है, कितनी सजा सुनाई जाती है, ज़मानत का क्या प्रावधान है। भारतीय दंड संहिता की धारा 96 क्या कहती है (What does IPC section 96 says in Hindi), सब कुछ विस्तार से जानेंगे।
भारत में महिलाओं कि सुरक्षा को लेकर कई बार सवाल उठाएं जाते है, महिलाओं को या फिर किसी भी व्यक्ति को सबसे पहले खुद की सुरक्षा के लिए सजग रहना चाहिए कई लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि भारतीय कानून जिस तरह से आत्मसुरक्षा का अधिकार प्रदान कराता है, उसका उपयोग किस तरह से किया जाता है।
समाज में रहने वाले सभी व्यक्तियों को अपनी सुरक्षा की रक्षा करना आपका मौलिक अधिकार है। इतना ही नहीं आपको अपने परिजनों की सुरक्षा का भी अधिकार मिला हुआ है बस हमे मालूम नहीं है।
तो आज हम ऐसे ही एक धारा के बारे में जानेंगे और देखेंगे कि आत्मरक्षा में किया गया कोई भी कार्य अपराध की श्रेणी में नहीं आता, यह सभी बातें हम भारतीय दंड संहिता की धारा 96 (IPC section 96 in Hindi) में जानेंगे तो आपको यह आर्टिकल अन्त तक पढ़ना है।
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आईपीसी धारा 96 क्या है (What is IPC Section 96 in Hindi)
भारतीय दंड संहिता की धारा 96 के अनुसार आत्मरक्षा के अधिकार के बारे में है. आत्मरक्षा में किया गया कोई भी कार्य अपराध की श्रेणी में नहीं आता है।
इसके अनुसार हर व्यक्ति को अपनी सुरक्षा, अपनी पत्नी की सुरक्षा, अपने बच्चों की सुरक्षा, अपने रिश्तेदारों और अपनी संपत्ति की सुरक्षा करने का हक़ प्रदान किया गया है। इस दुनिया में हर किसी को अपनी सुरक्षा और अपनी संपत्ति की रक्षा करने का पूरा अधिकार है।
अगर कोई आपके ऊपर हमला करता है या आपकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है, तो आप खुद को और अपनी संपत्ति को बचाने के लिए हर जरूरी कदम उठा सकते हैं। भारतीय कानून भी व्यक्ति को आत्मसुरक्षा का अधिकार प्रदान कराता है।
मान लीजिए यदि किसी महिला को लगता है कि उसका कोई पीछा कर रहा है, उसके साथ कुछ गलत होने वाला है या यदि उस पर कोई हमला करने की कोशिश करता है या कोई उसका रेप करने की कोशिश करता है तो वह अपनी सुरक्षा के लिए उस व्यक्ति पर हमला कर सकतीं हैं उसे चोट पहुंचा सकती हैं उसे अपराध नहीं माना जाएगा क्योंकि वो खुद को बचा रही थी।
इसे आत्मरक्षा का अधिकार (Right to defense) माना जाएगा। आत्मरक्षा में किए गए हमले में यदि अपराधी की मौत भी हो जाए तो अपना बचाव किया जा सकता है। लेकिन यह साबित करना होगा कि उक्त कारणों से हमला किया गया है। आत्मरक्षा के अधिकार के तहत सामने वाले को उतनी ही चोट या नुकसान पहुंचा सकते हैं, जितनी वह आप को पहुंचाना चाहता है।
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Conclusion
इस आर्टिकल में हमने आपको बताया कि कैसे खुद की रक्षा करना अपराध नहीं माना गया है। हम खुद को अपराध का शिकार होने से बचा सकते हैं। आत्मरक्षा का अधिकार भारतीय दंड संहिता में दिया गया है। हमने इस धारा को बहुत ही विस्तार और आसान भाषा में समझाने की कोशिश की है।
हमारा इस धारा के बारे में जानना जरूरी है क्योंकि यदि हमारे साथ कोई अपराध हो तो हम खुद की रक्षा कर सके बल्कि यह सोच कर रूक ना जाये कि कहीं हमला करना अपराध तो नहीं है।
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