Indian Constitution in Hindi – भारतीय संविधान क्या है पूरी जानकारी

आज हम आपको बताएंगे कि भारतीय संविधान क्या है (Indian constitution in Hindi) हमे इसके बारें में जानकारी होनी चाहिए। मैं आपको बताऊंगा कि हमारा भारतीय संविधान क्या कहता है ( what does Indian constitution say in Hindi) और भी बहुत कुछ  जानकारी देंगे इसीलिए ये आर्टिकल पूरा ध्यान से पढ़ना।

हम आपको बताएंगे की किसी भी देश की राजनीतिक व्यवस्था, न्याय व्यवस्था तथा नागरिकों के हितों की रक्षा वहां के संविधान के माध्यम से होती है। देश का मौलिक कानून संविधान है। इसे आम बोल-चाल की भाषा में ‘कानून की किताब’ भी कहते हैं। भारतीय संविधान (Indian constitution) दुनिया का सबसे लम्बा लिखित संविधान है।

Indian Constitution in Hindi

जब कोई स्टूडेंट पढाई भी करता है तो उसके मन में एक ही सवाल रहता है की भारतीय संविधान क्या होता है और हमारे भारत के लिए भारतीय संविधान क्यों सबसे जाएदा महत्वपूर्ण है तो में आपको बहुत आसान तरीके से बताने का कोसिस करेंगे ताकि आपको दिकत न हो और आप भारतीय संविधान (Indian constitution in Hindi) में जान सको।

भारतीय संविधान क्या है। (What is Indian Constitution in Hindi)

हम जानने की कोशिश करेंगे की भारतीय संविधान क्या है। भारत का सर्वोच्च विधान (Legislation) संविधान है। यह हमारे कानून का संग्रहण है। जब-जब देश की गणतंत्रता की बात होगी, तब-तब देश के संविधान का नाम आना स्वाभाविक है। हमारा संविधान Unique संविधान है।

देश का कानून ही देश का संविधान कहलाता है। संविधान को बनाने के लिए संविधान-सभा (House) बनाई गई थी, जिसका गठन स्वतंत्रता पूर्व ही दिसम्बर, 1946 को हो गया था। संविधान को निर्मित करने के लिए संविधान-सभा में अलग-अलग समितियां (committees) बनाई गयी थी। जिसके अध्यक्ष डॉ. भीमराव अम्बेडकर थे।

यूं तो हम सभी प्रायः अनेकों विषयों पर विचार-विमर्श और सभाएं करते है, किन्तु जब बात देश और देशभक्ति की हो, तब उत्साह ही अलग होता है। यह केवल मेरी ही नहीं, बल्कि हम सबकी भावनाओं से जुड़ा है।

देशभक्ति का जज्बा एक अलग ही जज्बा होता है। हमारी नसों में रक्त दुगुनी गति से प्रवाहित होने लगता है। देश के अमर सपुतों के बारे में जानने के बाद, हमारे अंदर भी देश पर मर मिटने का जुनून पैदा होने लगता है।

भारतीय संविधान का इतिहास (History of Indian Constitution)

हमारा संविधान 26 नवंबर 1949 को अपना लिया गया था, और सम्पूर्ण भारत में इसके एक महीने बाद, 26 जनवरी 1950 से प्रभाव में आया था। इसे पूर्णतः बनने में 2 साल, 11 महीनें और 18 दिनों का वक़्त लगा। इसके लिए 114 दिनों तक बहस चली। कुल 12 अधिवेशन किए गये। लास्ट डे 284 लोगों ने इस पर साइन किए।

संविधान सभा के प्रमुख सदस्यों में ‘पंडित जवाहर लाल नेहरू’ , ‘डां. भीमराव अम्बेडकर’ , ‘डा. राजेन्द्र प्रसाद’ , ‘सरदार वल्लभ भाई पटेल’ , ‘मौलाना अब्दुल कलाम आजाद’ आदि थे। भारत के संविधान में शुरूआत में 395 अनुच्छेद, 22 भाग और 8 अनुसूचियां थी, जो अब बढ़कर 448 अनुच्छेद, 25 भाग और 12 अनुसूचियां हो गयी हैं।

भारतीय संविधान को हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में हाथ से ही लिखा गया है। भारतीय संविधान को बनाने में लगभग एक करोड़ का खर्च लगा था। भारतीय संविधान में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को 11 दिसंबर सन् 1946 में स्थाई अध्यक्ष चुना गया था। भारतीय संविधान लागू होने के बाद भी इसमें 100 से अधिक संशोधन किए जा चुके हैं। बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष थे।

मौलिक भारतवर्ष में 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारतीय संविधान में सरकार के अधिकारियों के कर्तव्य और नागरिकों के अधिकारों के बारे में भी बताया गया है। संविधान सभा के कुल सदस्यों की संख्या 389 थी, जिसमें 292 ब्रिटिश प्रांतों के 4 चीफ कमिश्नर एवं 93 देसी रियासतों के थे।

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मौलिक अधिकार (Fundamental Rights)

भारतीय संविधान ने भारत के नागरिकों को छः मौलिक अधिकार प्रदान किए है, जिनका वर्णन (अनुच्छेद Article)  2 से 35 के मध्य किया गया है –

  • समानता का अधिकार (Right to equality)
  • स्वतंत्रता का अधिकार (Right to freedom)
  • शोषण के विरूद्ध अधिकार (Right against exploitation)
  • धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (Right to freedom of religion)
  • संस्कृति और शिक्षा से सम्बंधी अधिकार (Cultural and educational rights)
  • संवैधानिक उपचारों का अधिकार (Right to constitutional remedies)

 

 

पहले हमारे संविधान में सात मौलिक अधिकार थे, जिसे ‘44 वें संविधान संशोधन, 1978’ के तहत हटाया गया। ‘सम्पत्ति का अधिकार’ (Right to property) सातवाँ मौलिक अधिकार था।

संविधान की मुख्य विशेषताएं (Characteristic of Constitution)

संघ और राज्यों दोनों के लिए एक ही संविधान – भारत में संघ और राज्य दोनों ही के लिए एक ही संविधान है। संविधान एकता और राष्ट्रवाद के आदर्शों के सम्मिलन को बढ़ावा देता है। एकल संविधान सिर्फ भारत की संसद को संविधान में बदलाव करने की शक्ति प्रदान करता है। यह संसद को नए राज्य के गठन या मौजूदा राज्य को समाप्त करने या उसकी सीमा में बदलाव करने की शक्ति प्रदान करता है।

 1  संविधान के स्रोत (Source):– भारतीय संविधान ने विभिन्न देशों से प्रावधान (Provision) उधार लिए हैं और देश की जरुरतों के हिसाब से उसमें संशोधन यानी बदलाव किया है। भारत के संविधान का संरचनात्मक भाग भारत सरकार अधिनियम, 1935 से लिया गया है। सरकार की संसदीय प्रणाली और कानून के नियम जैसे प्रावधान यूनाइटेड किंग्डम (Provision United Kingdom) से लिए गए हैं।

 2  कठोरता और लचीलापन (Rigid and Flexible):- भारत का संविधान न तो कठोर है और न ही लचीला। कठोर संविधान का अर्थ है कि संशोधन के लिए विशेष प्रक्रियाओं (Process) की जरूरत होती है जबकि लचीला संविधान वह होता है जिसमें संशोधन यानी बदलाव आसानी से किया जा सकता है।

 3  धर्मनिरपेक्ष देश (Secular Country):– धर्मनिरपेक्ष देश शब्द का अर्थ है कि भारत में मौजूद सभी धर्मों को देश में समान संरक्षण और समर्थन मिलेगा। इसके अलावा, सरकार सभी धर्मों के साथ एक जैसा व्यवहार करेगी और उन्हें एक समान अवसर उपलब्ध कराएगी।

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 4  भारत में संघवाद(Federalism):- भारत के संविधान में संघ / केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सत्ता के बंटवारे का प्रावधान है। यह संघवाद के अन्य विशेषताओं जैसे संविधान की कठोरता, लिखित संविधान, दो सदनों वाली विधायिका, स्वतंत्र न्यायपालिका और संविधान के वर्चस्व, को भी पूरा करता है। इसलिए भारत एकात्मक पूर्वाग्रह वाला एक संघीय राष्ट्र है।

 5  सरकार का संसदीय स्वरूप (Parliamentary Form of Government):– भारत में सरकार का संसदीय स्वरूप है। भारत में दो सदनों – लोकसभा और राज्य सभा, वाली विधायिका है। सरकार के संसदीय स्वरूप में, विधायी और कार्यकारिणी अंगों की शक्तियों में कोई स्पष्ट अंतर नहीं है। भारत में, सरकार का मुखिया प्रधानमंत्री होता है।

 6  एकल नागरिकता (Single Citizenship):– भारत का संविधान देश के प्रत्येक व्यक्ति को एकल नागरिकता प्रदान करता है। भारत में कोई भी राज्य किसी अन्य राज्य के वासी होने के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता। इसके अलावा, भारत में, किसी भी व्यक्ति को देश के किसी भी हिस्से में जाने और कुछ स्थानों को छोड़कर भारत की सीमा के भीतर कहीं भी रहने का अधिकार है।

 7  एकीकृत और स्वतंत्र न्यापालिका (Independent and integrated judicial system):– भारत का संविधान एकीकृत और स्वतंत्र न्यायपालिका प्रणाली प्रदान करता है। सुप्रीम कोर्ट भारत का सर्वोच्च न्यायालय है। इसे भारत के सभी न्यायालयों पर अधिकार प्राप्त है।

इसके बाद उच्च न्यायालय, जिला अदालत और निचली अदालत का स्थान है। किसी भी प्रकार के प्रभाव से न्यायपालिका की रक्षा के लिए संविधान में कुछ प्रावधान बनाए गए हैं जैसे कि जजों के लिए कार्यकाल की सुरक्षा और सेवा की निर्धारित शर्तें आदि।

 8  राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत (Directive Principles of State Policy):–  संविधान के भाग IV (अनुच्छेद 36 से 50) में राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों के बारे में बात की गई है। इन्हें कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती हैं जो कि मोटे तौर पर समाजवादी, गांधीवादी और उदार – बौद्धिकता में वर्गीकृत हैं।

 9  मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties):– इन्हें 42वें संविधान संशोधन अधिनियम (1976) द्वारा संविधान में शामिल किया गया है। इस उद्देश्य के लिए, एक नया हिस्सा, भाग IV – ए बनाया गया और अनुच्छेद 51– ए के तहत दस कर्तव्य शामिल किए गए। यह प्रावधान नागरिकों को इस बात की याद दिलाता है कि अधिकारों का उपयोग करने के दौरान उन्हें अपने कर्तव्यों का भी निर्वहन करना चाहिए।

 10  सार्वभौम व्यस्क मताधिकार (Universal Adult Franchise):– भारत में, 18 वर्ष से अधिक उम्र के प्रत्येक नागरिक को जाति, धर्म, वंश, लिंग, साक्षरता आदि के आधार पर भेदभाव किए बिना मतदान देने का अधिकार प्राप्त है। सार्वभौम व्यस्क मताधिकार सामाजिक असमानताओं को दूर करता है और सभी नागरिकों के लिए राजनीतिक समानता के सिद्धांत को बनाए रखता है।

 11  आपातकाल के प्रावधान (Emergency Provision):- देश की संप्रभुता, सुरक्षा, एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए किसी भी असाधारण स्थिति से निपटने के लिए राष्ट्रपति को कुछ खास कदम उठाने का अधिकार है। आपातकाल लगा दिए जाने के बाद राज्य पूरी तरह से केंद्र सरकार के अधीन हो जाते हैं। जरुरत के अनुसार आपातकाल देश के कुछ हिस्सों या पूरे देश में लगाया जा सकता है।

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इस प्रकार भारत का संविधान सबसे निचले स्तर या जमीनी स्तर पर लोकतंत्र, मौलिक अधिकारों और सत्ता के विकेंद्रीकरण के रूप में खड़ा है। इन शक्तियों और अधिकारों के कमजोर पड़ने की किसी भी संभावना को देखते हुए, संविधान के संरक्षक के रूप में काम करने, संविधान का उल्लंघन करने वाले किसी भी कानून या कार्यकारी अधिनियम को रद्द करने और इस प्रकार संविधान की सर्वोच्चता लागू करने के लिए, सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की गई।

दोस्तों मैंने आपको भारतीय संविधान क्या है (Indian constitution in Hindi) इसके बारें में जानकारी दिया साथ ही साथ मैं आपको बताया कि हमारा भारतीय संविधान क्या कहता है (what does Indian constitution say in Hindi) ये सब के बारे में पूरी जानकारी दिया तो मुझे उम्मीद है की आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा अगर अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करना।

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