आज हम आपको बताने जा रहे है की आइपीसी धारा 188 क्या है (What is IPC 188 in Hindi) , इसके बारे में जानना हमारे लिए बहुत जरूरी है तो हम आपको बताएंगे कि आइपीसी की धारा 188 क्या कहती है (what does IPC 188 says in Hindi) और आईपीसी धारा 188 में सजा और जमानत कैसे होती है (How is punishment and bail in IPC section 188 in Hindi) इसके बारे में ओर भी बहुत कुछ बताएंगे।
दोस्तों आइपीसी धारा 188 क्या है इसके बारे में हर कोई जानना चाहता है क्यूंकि ये बहुत ही चर्चित IPC Section 188 है खेर जब आप इसके बारे में जान जाओगे तो आपको बहुत हेल्प करेगा ऐसे काम से बचने में यानी की आप इस धरा से बहुत आराम से बच सकते है खेर अगर आपको पूरी जानकारी चाहिए तो आप ये आर्टिकल लास्ट तक पढ़ना।
हमे देखने और सुनने को मिलता है कि सरकार द्धारा बनाए गए नियम तोड़ने वालो पर पुलिस ने केस दर्ज किया है और उसपे जुर्माना भी लगाया है। आज हम जानेंगे ऐसी ही एक धारा के बारे में की यह धारा होती क्या है। और इस धारा के बारे में हमने अपने अभी कोरोना वायरस के चलते बहुत से लोगों पर धारा पुलिस द्वारा लगाते देखा होगा। यह काफी महत्वपूर्ण धारा है।
आइपीसी धारा 188 क्या है (What is IPC 188 in Hindi)
भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति सरकार द्धारा बनाए गए नियमों का पालन नहीं करता है या जानबूझकर उन्हें तोड़ने की कोशिश करता है। इसके मुताबिक, “जो कोई भी जानबूझकर पब्लिक सर्वेंट के आदेश का पालन नहीं करता है, उसको जेल की सजा या जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं.”।
जो कोई भी व्यक्ति यह जानते हुए कि वह ऐसे लोक सेवक द्वारा बनाए गए किसी आदेश से, जो ऐसे आदेश को तोड़ने के लिए विधिपूर्वक या कानून से प्राप्त अधिकारों से सशक्त है, कोई कार्य करने से विरत रहने के लिए या अपने कब्जे में, या , किसी संपत्ति के बारे में कोई विशेष व्यवस्था करने के लिए निर्दिष्ट किया गया है.
ऐसे निर्देश का पालन नहीं करेगा, या उस आदेश की अवहेलना कर उसका पालन नहीं करता है, तो वह व्यक्ति IPC Section 188 के अनुसार दंड का भागीदार होता है, तो वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि एक महीना तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो दौ सौ रुपए तक का हो सकता है, या दोनों से, दंडित किया जाता है।
IPC की Section 188 के दौरान आपको किराने का सामान लेने, डॉक्टर के पास जाने या टहलने जाने जैसी सभी आवश्यक गतिविधियां करने की अनुमति दी जाती है, बशर्ते आप सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। आपातकालीन सेवाओं में काम करने वाले लोग प्रतिबंधों में शामिल नहीं हैं।
बेहतर है कि अपने स्थानीय अधिकारियों द्वारा जारी नियमों का पालन करें। ग़ैर-आवश्यक स्थानों को बंद किया जा सकता है जिसमें स्कूल, कॉलेज, व्यवसाय शामिल हैं। यहां तक कि परिवहन पर भी रोक लग सकती है, लेकिन कोई भी परेशानी कितनी बड़ी है, ये उस पर निर्भर करता है। यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।
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धारा 188 कब लगाई जाती है।
जब किसी देश, राज्य या किसी शहर में कोई आपातकाल जैसी स्थिति की बात सामने आती है, या किसी युद्ध, महामारी या फिर किसी बड़ी परेशानी को रोकने या उससे बचाव के लिए किसी राज्य सरकार या किसी प्रशासनिक अधिकारी द्वारा कोई ऐसा आदेश पास किया जाता है.
जिसमें देश, राज्य या किसी शहर के नागरिकों को कोई कार्य करने के लिए या कोई कार्य न करने के लिए आदेश दिया जाता है, जिस आदेश का मूल उद्देश्य केवल देश हित को बरक़रार रखने का ही होता है। यदि कोई व्यक्ति जो ऐसे आदेश का पालन नहीं करता है, तो इस प्रकार के आदेश के सही क्रियान्वयन के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 188 बनाई गयी है।
इस धारा के दो प्रकार है।
- कर्फ्यू
- लॉकडाउन
कर्फ्यू: कर्फ्यू एक ऐसा सख्त आदेश होता है जो लोगों को सड़क से दूर रखता है। यह किसी आपातकालीन स्थिति में लगाया जाता है, राज्य के नियमों का पालन करते हुए, इसमें कहीं लोगों को घंटों तक घर में रहना होता है। कर्फ्यू का पालन नहीं करने वालों पर जुर्माना और गिरफ्तार भी किया जाता है।
देश में चुनावों के समय आपने कर्फ्यू के बारे में बहुत सुना होगा जिसमें किसी सार्वजनिक स्थान पर चार से अधिक व्यक्ति एकत्र होने पर वे सभी इस आदेश का पालन न करने के दोषी कहे जाते हैं, और वे सभी IPC Section 188 दंड के भागीदार बन जाते हैं।
लॉकडाउन: फिलहाल के समय में कोरोना वायरस के चलते यह लॉकडॉन शब्द काफ़ी प्रचलित हो गया है। लॉकडाउन के चलते लोगों को घर ना छोड़ने को कहा़ जाता हैं और सरकार द्धारा दिए गए समय में ही बाहर निकलना होता है।आपको घर छोड़ने या फिर सफर करने के लिए प्रमाण की ज़रूरत पड़ती है।
लॉकडाउन आपको एक ही जगह पर रहने के लिए मजबूर करता है, और आप एक जगह से बाहर या दूसरी जगह पर प्रवेश नहीं कर सकते। हालांकि, एक लॉकडाउन के दौरान खाने – पीने, दवाइयां या ऐसे ही ज़रूरत के सामान पर रोक नहीं लगती।
लेकिन लॉकडाउन के समय आवश्यक गतिविधियों की पूर्ति के लिए अलग – अलग राज्य सरकार अपनी रुपरेखा बनाती है, जिसका आम जनता के साथ – साथ उस राज्य के सभी नागरिक पालन करते हैं। और जो लोग इस आदेश का पालन नहीं करते हैं.
और बिना मतलब के सड़कों पर घूमते पाए जाते हैं, तो उन सभी लोगों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के अनुसार कार्यवाही की जाती है। यानी की IPC Section 188 अप्लाई होता है।
ईपीसी धारा 188 में सजा और जमानत (Bail in IPC section 188 in Hindi)
भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के अनुसार (IPC Section 188 in Hindi),
- किसी भी लोक सेवा द्वारा बनाए गए नियमों का पालन नहीं करना और ऐसी परिस्थिति पैदा करना किसी व्यक्ति को चोट लग जाए तब ऐसे आरोपी को एक माह की कारावास और जुर्माना लगाया जाता है।
- यदि ऐसी परिस्थिति से किसी व्यक्ती, स्वास्थ्य को खतरा हो जाए तब आरोपी को 6 माह की कारावास और आर्थिक जुर्माना से दंडित किया जाता है।
यह एक संज्ञेय अपराध है, जिसमें जमानत आसानी से मिल जाती है परन्तु किसी भी मैजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
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इस आर्टिकल के तहत हमने आपको बताया कि ईपीसी धारा 188 क्या है (What is IPC 188 in Hindi) आईपीसी धारा 188 में सजा और जमानत कैसे होती है (How is punishment and bail in IPC section 188 in Hindi) बहुत आसान भाषा में हम उम्मीद करते है कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा अगर आया है और आपको लाभकारी लगा हो तो अपने साथियों के साथ जरूर शेयर करें।