आज हम आपको बताने जा रहे है की आइपीसी धारा 325 क्या है (IPC 325 in Hindi) , इसके बारे में जानना हमारे लिए बहुत जरूरी है तो हम आपको बताएंगे कि आइपीसी की धारा 325 क्या कहती है (what does IPC 325 says in Hindi) और आईपीसी धारा 279 में सजा और जमानत कैसे होती है (How is punishment and bail in IPC section 279 in Hindi) इसके बारे में ओर भी बहुत कुछ बताएंगे।
दोस्तों कई बार एशा होता की हमलोग अपने गाँव में रहते है और मान लो की उस घर में दो भाई है लेकिन एक भाई कमजोर है और दूसरा भाई ताकतवर है तो इसी तरह से दोनों में लड़ाई हो जाती है और दूसरे भाई कमजोर भाई को मार देता है जिससे उसको काफी जाएदा चोट भी पहूंचती है और उसका कोई गाँव के लोग हेल्प नहीं करते है तो ऐसे में वो करेगा क्या तो आपको टेंशन नहीं लेना बस आर्टिकल पूरा पढ़े।
आज हम एक ऐसी ही एक धारा के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे। हम इस आर्टिकल में आपको बताऐंगे की धारा 325 में क्या जुर्म होता है (IPC 325 in Hindi), क्या सज़ा होती है, ज़मानत होती है या नहीं वकील की ज़रूरत होती है या नहीं सब कुछ हम आपको बताएंगे तो आपको यह आर्टिकल ध्यान से पढ़ना है।
आइपीसी धारा 325 क्या है (What is IPC 325 in Hindi)
भारतीय दंड संहिता की धारा 325 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को स्वेच्छापूर्वक (अपने मन से) कोई गंभीर चोट पहुंचा देता है तब ऐसे आरोपी पर IPC Section 325 के तहत केस दर्ज किया जाता है। आरोपी को 7 वर्ष की कारावास और आर्थिक जुर्माना से दंडित किया जाता है। यह एक संज्ञेय अपराध है। इस अपराध में आरोपी को आसानी से ज़मानत मिल सकती है।
यह जिस व्यक्ति को चोट लगी है उसके द्वारा समझौता करने योग्य है। यह किसी भी मैजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है क्यूंकि आगे चलकर फिर कोई नोक झोंक हो जाए तो फिर से लड़ाई होने की सम्भावना पूरी रहती है इसलिए न्यायालय काफ़ी सोच विचार कर निर्णय लेती है ताकि आगे चलकर कोई मारपीट दोबारा ना हो।
उदाहरण मोहनलाल और सोहनलाल में जमीन के बटवारे को लेकर पहले तो कहा सुनी हुईं लेकिन बात इतनी बढ़ गई की आपस में मार पीट होने लगी और मोहनलाल को गंभीर चोट लग गई और उसे अस्पताल पहुंचाना पड़ा, ऐसे में मोहनलाल के घरवालों ने पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई.
और पुलिस सोहनलाल को गिरफ्तार कर लेती है और अगर मोहनलाल को बहुत गम्भीर रूप से कोई हानि होती है तो आरोपी को न्यायालय में पेश किया जाता है, उसे जज द्वारा सज़ा और जुर्माना लगा कर दंडित किया जाता है।
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धारा 325 में सज़ा का प्रावधान (Punishment In IPC Section 325 in Hindi)
भारतीय दंड संहिता की धारा 325 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को स्वेच्छापूर्वक गंभीर रूप से घायल कर देता है तो कोर्ट उस आरोपी को 7 वर्ष की कारावास और आर्थिक जुर्माना लगाया जाता है। यह अपराध एक संज्ञेय अपराध है, ऐसे मामलों को मैजिस्ट्रेट को काफ़ी सोच विचार कर निर्णय सुनाना पड़ता है। जिससे आगे कोई बड़ा अपराध ना हो।
Note: मान लीजिये की किसी से जमीन के चलते बहुत जाएदा लड़ाई हो जाती है और उस लड़ाई में काफी जाएदा चोट पहुँचती है तो ऐसे में अपराध को इस धरा में 7 साल का जेल और आर्थिक दंड भी देना पढ़ सकता है और अगर इस लड़ाई में बहुत जाएदा खतरनाक मर पिट हुआ है तो ऐसे में अपराधी पर दूसरा IPC की Section लग सकती है।
धारा 325 में ज़मानत का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 325 (IPC Section 325 in Hindi) के अनुसार यह जमानतीय अपराध है। जिसमें किसी भी आरोपी को ज़मानत मिल सकती है। यह एक संज्ञेय अपराध है पर जमानतीय है। ऐसे मामलों में न्यायालय काफ़ी विचार विमर्श कर फैसला लेती है।
आरोपी को ज़मानत मिलने पर भी उसे न्यायालय में आना होता है जब भी न्यायालय उसे कोर्ट में पेश होने को कहें और अगर वो कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करता है तब उस आरोपी के घर नोटिस भिजवा कर उसे कोर्ट में उपस्थित होने को कहा जाता है।
Note: दोस्तों अगर आपके ऊपर इस तरह का कोई केस हुआ है तो उस केस को लड़ने के लिए आपको सबसे पहले एक वकील को hire करना होगा और एक बात आपको धेयान रखना है की आपको वही वकील को hire करना है जो इस फील्ड में expert हो क्यूंकि ये केस एक बहुत ही खतरनाक केस होता है। इसीलिए IPC Section 325 की केस लड़ने के लिए एक अच्छा वकील की जरुरत होगी।
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इस आर्टिकल में हमने आपको बताया धारा 325 के बारे में जहां हमने जाना की ईपीसी धारा 325 क्या है (What is IPC 325 in Hindi) आईपीसी धारा 325 में सजा और जमानत कैसे होती है (How is punishment and bail in IPC section 325 in Hindi) यह जानना हमारा बहुत ज़रूरी भले ही हम कानून की पढ़ाई नहीं कर रहे हैं, क्योंकि आजकल किसी का भी किसी व्यक्ति से झगड़ा हो जाता है ओर बात इतनी बढ़ जाती है कि मारपीट भी हो जाती है ऐसे में इस धारा के बारे में जानना ज़रूरी ही है ताकि सही निर्णय ले सकें ओर पीड़ित को न्याय मिल सके।
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