दोस्तों आज की इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि आईपीसी धारा 36 क्या है। (What is IPC Section 36 in Hindi), आईपीसी धारा 36 में कैसे सजा होती है, आईपीसी धारा 36 कैसे इसमें जमानत होती है। (How is punishment and bail in IPC section 36 in Hindi) यह धारा क्या कहती है। (What does IPC section 377 says in Hindi), सब कुछ विस्तार से जानेंगे बस आप आर्टिकल लास्ट तक पढ़ते रहना।
दोस्तों वैसे तो कानून में तरह तरह के अपराधों के लिए कुछ विशेष धाराएं और सजा का ज़िक्र हमने देखा है। मगर कभी कभी आपने ये सुना होगा की किसी ने आपराधिक भावना रखते हुए किसी को कैद में रखा और वो जो कैद में था वो मर गया लेकिन बाद में पुलिस के पता लगाने पर ये सामने आया की उसकी मौत तो भूखा होने के वजह से हुई है जबकि आरोपी ने उसकी पिटाई करि थी।
तो इस तरह के थोड़े या बहुत ज्यादा पेचीदा केस तो आपने भी न्यूज़ पेपर में या न्यूज़ चैनल में देखा ही होगा। तो आज हम जिस धारा के बारे में बात करेंगे वो ऐसी ही कुछ पेचीदा केस से सम्बन्ध रखती है। वैसे दोस्तों उम्मीद है की हमारे तरफ से दी जा रही जानकारी से आप लोगो को बहुत हेल्प हो रहा होगा।
हम वादा करते है की हम आपको ऐसी ही जानकारी आगे भी देते रहेंगे तो हमेशा की तरह आज के इस आर्टिकल को आप लास्ट तक पढ़ें ताकि आपकी जानकारी और बढ़ सके। दोस्तों आज हम जानेंगे IPC Section 36 के बारे में, तो चलिए पता करते है इसके बारे में।
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आईपीसी की धारा 36 क्या है (What is IPC 36 in Hindi)
दोस्तों आगे जानने से पहले हम भारतीय दंड संहिता की धारा 36 की दी हुई परिभासा से शुरू करते है जिसके अनुसार भारतीय दंड संहिता की धारा 36 के अनुसार, जहां कहीं किसी कार्य द्वारा या किसी लोप द्वारा किसी परिणाम का कारित किया जाना या उस परिणाम को कारित करने का प्रयत्न करना अपराध है, वहां उस परिणाम का अंशत: कार्य द्वारा और अंशत: लोप द्वारा कारित किया जाना वही अपराध समझा जाता है।
इसका मतलब ये है की जब कोई कार्य किया या कोई कार्य नहीं किया गया जिसके लिए आप कानूनन रूप से बाध्य थे मगर वो कार्य नहीं किया गया या फिर इसे ऐसे समझते है की जब कोई कार्य किया जाता है या करने का प्रयास किया जाता है किसी Omission या Act के द्वारा और ऐसा करना एक अपराध होता है तो ये माना जायेगा की अगर वो कार्य या जो अपराध है आधा Act करके हुआ है और आधा Omission करके हुआ है तब भी ये ही माना जायेगा की वही अपराध हुआ है।
अब थोड़ा सा ये समझ लेते है आसान शब्दों में कि ये Act and Omission किसे कहते है, तो –
- Act: जब कभी आप कोई कार्य या कोई काम करते हो तो उसे हम Act कहते है।
- Omission: जब कोई कार्य आपने नहीं किया है तो उसे Omission कहा जायेगा।
इसे हम Example से और अच्छे से Clear करेंगे।
Example: मानलो आप क़ानूनी रूप से बाध्य थे या आपको किसी ने कहा था कि इस व्यक्ति को आपको खाना देना है। मगर आपने क्या किया कि उस आदमी को आप दो दिनों तक आपने भूखा रखा और भूखा रखने के कारण वो व्यक्ति कमजोर हो गया। फिर आपने उस व्यक्ति कि पिटाई भी कर दी और ऐसा करने पर उस व्यक्ति कि मृत्यु हो गयी।
तब इस स्थिति में IPC कि धारा 36 लागू हो जाएगी। अब मानलो कि वो भूख से नहीं मरता उसको कमजोर होने में या भूख से मरने में 5-6 दिन और लगते तब ऐसा केस बनता कि वो आधा भूख आधा पिटाई से मृत्यु हो गयी मतलब Act and Omission दोनों से उसकी मौत हुई है।
ऐसी स्थिति में अपराधी ये कह कर नहीं बच सकता कि उसने तो बहुत कम पिटाई करि थी या फिर बहुत कम ही भूखा रखा था। आपने ऐसी स्थिति में Act और Omission दोनों किया है इसलिए ये IPC Section 36 लगायी जाएगी।
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आईपीसी 36 के तहत सजा का प्रावधान (Punishment in IPC Section 36 in Hindi)
दोस्तों किसी भी सजा का निर्धारण मजिस्ट्रेट या जज के द्वारा उसके किये गए अपराध को ध्यान में रखते हए दिया जाता है। तो इस धारा के अंतर्गत भी यदि अपराधी ने जिस भी प्रकार की अपराध करि है जो इस धारा के अंतर्गत आती है तो मजिस्ट्रेट द्वारा अपराधी को उचित दंड दिया जायेगा।
आईपीसी धारा 36 के तहत वकील की जरूरत
दोस्तों सबसे पहली बात तो ये के हमे अपराध ना तो खुद करना चाहिए और ना ही होने देना चाहिए। मगर अगर फिर भी कोई अपनी सफाई के लिए कुछ कहना चाहता है तो वकील के मदद से कुछ कह सकता है। मतलब हां इसमें वकील कि जरुरत पड़ सकती है।
Note: IPC Section 36 के अनुसार यदि कोई ऐसा Act होता है जिसका प्रभाव अपराध होता है या फिर, यदि कोई ऐसा Omission होता है जिसका प्रभाव अपराध हो तो वह प्रभाव अगर आधा Act और आधा Omission है तब ये माना जायेगा की उस व्यक्ति ने ही अपराध किया है।
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आशा है की आपको आईपीसी धारा 36 क्या है? इससे सम्बंधित बहुत सी जानकारी आपको हुई होगी और साथ ही IPC की धारा 36 क्या कहती है? (What does section IPC 36 says in Hindi). इसकी जानकारी भी आपको मिल गयी होगी। तो अगर आपको ये आर्टिकल पसंद आया हो तो आप अपने दोस्तों के साथ जरूर इसे शेयर करें ताकि आपके दोस्त भी हमारे भारतीय दंड संहिता के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें।