IPC Section 397 in Hindi – आईपीसी धारा 397 क्या है पुरी जानकारी

दोस्तों आज की इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि आईपीसी धारा 397 क्या है (What is IPC Section 397 in Hindi), आईपीसी धारा 397 में कैसे इसमें अपराध होता है, किस तरह सजा सुनाई जाती है, जमानत होती है या नहीं, (How is punishment and bail in IPC section 397 in Hindi) इस अपराध को करने से कैसे बचा जाए। आईपीसी धारा 397 क्या कहती है (What does IPC section 397 says in Hindi), सब कुछ विस्तार से जानेंगे।

अक्सर देखते है कि यदि कोई व्यक्ति चोरी या डकैती करता है और यदि कोई इंसान उसे रोकने की कोशिश करता है तो चोर उस व्यक्ति को अपने रास्ते से हटाने के लिए उसपे हमला करता है, उसे चोट पहुंचाने की कोशिश करता है ताकि वो अपना काम कर सकें। या फिर किसी चोर का मकसद चोरी करना नहीं किसी को चोट पहुंचाना भी हो सकता है।

IPC Section 397 in Hindi

चाहे वो फिर बदले की भावना से भी चोरी करने आ सकता है और नुक़सान पहुंचा सकता है। अक्सर अखबारों में पढ़ने को मिलता है कि चोर चोरी करते वक्त घर के किसी सदस्य पर हमला किया जिससे उस व्यक्ति की मौत हो गई है।

तो आज हम ऐसे ही एक धारा के बारे में जानेंगे और देखेंगे कि कैसे चोरी या डकैती करते वक्त किसी की मौत हो जाती है तो क्या होता है, यह सभी बातें हम भारतीय दंड संहिता की धारा 397 (IPC section 397 in Hindi), में जानेंगे तो आपको यह आर्टिकल अन्त तक पढ़ना है।

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आईपीसी धारा 397 क्या है (What is IPC Section 397 in Hindi)

भारतीय दंड संहिता की धारा 397 के अनुसार: मृत्यु या घोर प्रहार कारित करने के प्रयास के साथ लूट या डकैती।

यदि कोई लूट या डकैती करते वक्त आरोपी किसी घातक ओजार का प्रयोग करके किसी व्यक्ति को गंभीर चोट पहुंचायेगा या किसी व्यक्ति की मृत्यु करने की कोशिश करेगा किसी घातक ओजार से  या उसे घोर आघात पहुँचाने का प्रयत्न करेगा तो ऐसे व्यक्ति पर IPC Section 397 लागू होती है।

 Eng:  IPC Section 397 applies to such a person if the accused while committing robbery or robbery will cause serious injury to a person using a lethal instrument or will try to kill a person with a fatal instrument or try to inflict a severe blow on him. is.

किसी व्यक्ति पर हमला कर उसकी मृत्यु करना एक गंभीर अपराध माना जाता है। यह एक संज्ञेय अपराध है, किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है। ऐसे मामलों में आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा सुनाई जाती है ताकि वो दोबारा ऐसा कुछ नहीं कर सकें।

आईपीसी धारा 397 में सजा का प्रावधान (Punishment in IPC Section 397 in Hindi)

भारतीय दंड संहिता की धारा 397 के अनुसार यदि कोई चोरी या डकैती करते वक्त किसी व्यक्ति पर किसी घातक ओजार से हमला कर उसे गंभीर चोट पहुंचाता है या उसकी मौत कर देता है तो ऐसे व्यक्ति पर धारा 397 लागू होती है। इस धारा के अनुसार अपराध करने वाले व्यक्ति को 7 वर्ष की कारावास और आर्थिक जुर्माना लगा कर दण्डित किया जाता है। यह अपराध किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है चुकीं इसमें किसी को गंभीर चोट या किसी की मौत होती है। यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

किसी को गंभीर रूप से घायल करना या उसे मार देना एक गंभीर अपराध है, ऐसे मामलों में किसी भी आरोपी को बचाना बहुत मुश्किल होता है।

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आईपीसी धारा में जमानत का प्रावधान (Bail in IPC Section 397 in Hindi)

भारतीय दंड संहिता की धारा 397 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति लूट या डकैती करते वक्त किसी व्यक्ति पर हमला या उसकी मृत्यु कर देता है तो ऐसे आरोपी को 7 वर्ष की कारावास और आर्थिक जुर्माना लगा कर दण्डित किया जाता है।

चुकीं यह गंभीर अपराध है तो जाहिर सी बात है इसमें जमानत मिलना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में यदि आरोपी अपनी जमानत की याचिका उच्च न्यायालय में दायर करता है तो उसकी याचिका को निरस्त कर दिया जाता है। यह एक गैर जमानती अपराध है।

एक वकील की ज़रूरत क्यों होती है।

भारतीय दंड संहिता के अनुसार यह एक ग़ैर जमानती अपराध है तो ऐसे में एक बेहतर वकील की ज़रूरत तो लगती ही है जो आरोपी को आसानी से ज़मानत दिलवा सकें। ऐसे मामलों में आरोपी को निर्दोष साबित करना मुश्किल होता तो ऐसे में किसी भी आरोपी को एक वकील ही बचा सकता है।

ऐसे मामलों में एक ऐसे वकील को नियुक्त करना चाहिए जो आरोपी को आसानी से ज़मानत दिलवा सकता हो, जो पहले से अपने क्षेत्र में निपुण हो और उसने ऐसे मामलों सुलझाए हो। ऐसे मामलों में न्यायालय आरोपी का इतिहास और जुर्म की गंभीरता देख कर निर्णय लेती है तो एक वकील ही किसी भी आरोपी को बचा सकता है।

 Note:  इस अपराध से बचने का तरीका यह है कि कोई चोरी ना करें जितना आप ईमानदारी से कमाते है उसी में खुश रहें। यदि आप ऐसा करते है और जोश जोश में किसी पर हमला कर देते है और यदि उसकी मृत्यु हो जाती है तो नुक़सान आपका भी होगा, आपको ही कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं तो बेहतर है ऐसा कोई कार्य ना करें।

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इस आर्टिकल में हमने आपको बताया कि आईपीसी धारा 397 क्या है (What is IPC Section 397 in Hindi), आईपीसी धारा 397 में कैसे इसमें अपराध होता है, किस तरह सजा सुनाई जाती है, जमानत होती है या नहीं, (How is punishment and bail in IPC section 397 in Hindi) वकील की ज़रूरत क्यों लगती है, अपराध करने से कैसे बचा जाए, सब कुछ विस्तार से जाना और समझा।

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