IPC Section 102 in Hindi- आईपीसी धारा 102 क्या है पूरी जानकारी

आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि भारतीय दण्ड संहिता की धारा 102 क्या है (What is IPC section 102 in Hindi), आईपीसी धारा 102 में कैसे अपराध होता है, कितनी सजा सुनाई जाती है, जमानत कैसे होती है, जमानत होती है या नहीं, वकील की ज़रूरत कब लगती है, इस अपराध को करने से कैसे बचा जा सकता है। यह आईपीसी धारा 102 क्या कहती है (What does IPC section 102 says in Hindi), सब कुछ विस्तार से समझाने की कोशिश करेंगे।

भारतीय दण्ड संहिता में भारत के सभी नागरिकों को खुद की रक्षा करने का अधिकार प्रदान किया गया है जिसके चलते यदि किसी के साथ कुछ अपराध होता है तो वह व्यक्ति खुद को बचाने के लिऐ अपराधी पर हमला कर सकता है और इसे अपराध नहीं माना जाता है। यह अधिकार इसलिए दिया गया है क्योंकि पुलिस हर जगह हर किसी की रक्षा नहीं कर सकती। 

जब कोई बड़ा अपराध गठित होता है तभी पुलिस में शिकायत दर्ज करा सकते है छोटे मोटे मामले आपस में समझौता कर सुलझाए जा सकतें है। खुद की रक्षा करने पर किसी को मौत के घाट उतार देना प्राइवेट प्रतिरक्षा के अंतर्गत नहीं आता है।

IPC Section 102 in Hindi

तो आज हम ऐसे ही एक धारा के बारे में जानेंगे और देखेंगे कि प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार कब प्रारंभ होता और कब तक बना रहता है। यह सभी बातें हम भारतीय दण्ड संहिता की धारा 102 (IPC section 102 in Hindi) में समझने की कोशिश करेंगे तो आपको यह आर्टिकल अन्त तक पढ़ना है।

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आईपीसी धारा 102 क्या है (IPC Section 102 in Hindi)

भारतीय दण्ड संहिता की धारा 102 के अनुसार शरीर की निजी प्रतिरक्षा का अधिकार उसी क्षण प्रारंभ हो जाता है, जैसे ही अपराध करने के प्रयत्न या धमकी से शरीर के संकट की आशंका पैदा होती है, चाहे वह अपराध नहीं भी किया गया हो, और वह अधिकार तब तक बना रहता है जब तक शरीर के संकट की ऐसी आशंका बनी रहती है।

आसान भाषा में समझाने की कोशिश करें तो प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार तब चालू हो जाता है जब कोई किसी को धमकी या अपराध करने का प्रयास करता है फिर चाहें अपराध करे या नहीं, और यह अधिकार तब तक बना रहता है जब तक अपराध की आशंका बनी रहती है।

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इस आर्टिकल में हमने आपको बताया कि कब प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार लागू होता है और कब तक बना रहता है। यह सभी बातें हमने आपको भारतीय दण्ड संहिता की धारा 102 (IPC section 102 in Hindi) में बहुत ही विस्तार और आसान भाषा में समझाने की कोशिश की है।

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