IPC Section 103 in Hindi – आईपीसी धारा 103 क्या है पूरी जानकारी

आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि आईपीसी धारा 103 क्या है (What is IPC section 103 in Hindi), आईपीसी धारा 103 में कैसे अपराध होता है, कितनी सजा सुनाई जाती है, जमानत कैसे होती है वकील की ज़रूरत कब लगती है, इस अपराध को करने से कैसे बचा जा सकता है। यह भारतीय दण्ड संहिता की धारा 103 क्या कहती है (What does IPC section 103 says in Hindi), सब कुछ विस्तार से समझाने की कोशिश करेंगे।

इस दुनिया में हर किसी को अपनी सुरक्षा और अपनी संपत्ति की रक्षा करने का पूरा अधिकार है। अगर कोई आपके ऊपर हमला करता है या आपकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है, तो आप खुद को और अपनी संपत्ति को बचाने के लिए हर जरूरी कदम उठा सकते हैं। भारतीय कानून भी व्यक्ति को आत्मसुरक्षा का अधिकार प्रदान कराता है। भारत में अपनी सुरक्षा और अपनी संपत्ति की रक्षा करना आपका मौलिक अधिकार है।

IPC Section 103 in Hindi

इतना ही नहीं आपको अपने परिजनों की सुरक्षा का भी अधिकार मिला हुआ है। इसे कानून की भाषा में आत्मरक्षा का अधिकार यानी right to self defence कहा जाता है। तो आज हम ऐसे ही एक धारा के बारे में जानेंगे और देखेंगे कि कब संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मॄत्यु कारित करने तक का होता है। यह सभी बातें हम भारतीय दण्ड संहिता की धारा 103 (IPC section 103 in Hindi) में समझाने की कोशिश करेंगे तो आपको यह आर्टिकल अन्त तक पढ़ना है।

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आईपीसी धारा 103 क्या है (What is IPC Section 103 in Hindi)

भारतीय दण्ड संहिता की धारा 103 के अनुसार संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार, धारा 99 में वर्णित निर्बन्धनों के अध्यधीन दोषकर्ता की मॄत्यु या अन्य अपहानि स्वेच्छया कारित भारतीय दंड संहिता, 1860 17 करने तक का है, यदि वह अपराध जिसके किए जाने के, या किए जाने के प्रयत्न के कारण उस अधिकार के प्रयोग का अवसर आता है।

  • लूट
  • रात्रौ गॄह-भेदन 
  • अग्नि द्वारा हानि जो किसी ऐसे निर्माण, तंबू या जलयान को की गई है, जो मानव आवास के रूप में या संपत्ति की अभिरक्षा के स्थान के रूप में उपयोग में लाया जाता है।
  • चोरी, या गॄह-अतिचार, जो ऐसी परिस्थितियों में किया गया है, जिनसे उक्त रूप से यह आशंका होती है कि यदि प्राइवेट प्रतिरक्षा के ऐसे अधिकार का प्रयोग न किया गया तो परिणाम मॄत्यु या बहुत बड़ा नुक़सान होगा ।

 आसान भाषा में:  सरल भाषा में समझाने की कोशिश करें तो रात में घर में सेंध लगने, लूटपाट होने, आगजनी और चोरी होने जैसी परिस्थितियों में अगर आपको अपनी जान का खतरा है, तो आपको आत्मरक्षा का अधिकार है। यदि आप पर कोई एसिड अटैक करता है तो आपकी जवाबी कार्रवाई को आत्मरक्षा के अधिकार तहत कार्रवाई मानी जाएगी।

अगर किसी महिला को लगता है कि कोई व्यक्ति उस पर हमला करने वाला है या रेप करने की कोशिश करता है, तो वह अपनी सुरक्षा के लिए जवाबी कार्रवाई कर सकती है और यह उसका आत्मरक्षा का अधिकार होगा।

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इस आर्टिकल में हमने आपको बताया कि कैसे कब संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मॄत्यु कारित करने तक का होता है। यह सभी बातें हमने आपको भारतीय दण्ड संहिता की धारा 103 (IPC section 103 in Hindi) में बहुत ही विस्तार और आसान भाषा में समझाने की कोशिश की है।

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