आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि आईपीसी धारा 104 क्या है (What is IPC section 104 in Hindi), आईपीसी धारा 104 में कैसे अपराध होता है, कितनी सजा सुनाई जाती है, जमानत कैसे होती है, जमानत होती है या नहीं, इस अपराध को करने से कैसे बचा जा सकता है। यह भारतीय दण्ड संहिता की धारा 104 क्या कहती है (What does IPC section 104 says in Hindi), सब कुछ विस्तार से समझाने की कोशिश करेंगे।
जैसा की हम जानते हैं कि भारत के सभी नागरिकों को खुद की रक्षा करने का एक मौलिक अधिकार प्रदान किया गया है जिसके अंतर्गत यदि किसी व्यक्ति के साथ कोई अपराध या कोई जानलेवा हमला होता है तो वह खुद के बचाव के लिए हमला कर सकता है और उस हमले को अपराध की श्रेणी में नहीं गिना जाता है। आज कल ऐसी परिस्थितियां आ जाती है की किसी व्यक्ति के शरीर पर अपहानि होने पर उसके पास उतना समय नहीं होता कि वह राज्य से अपनी रक्षा के उपाय प्राप्त करें। ऐसी जरुरी परिस्थितियों में व्यक्ति अपने शरीर तथा अपनी संपत्ति की स्वयं भी रक्षा कर सकें इसलिए यह अधिकार प्रदान किया गया है।
तो आज हम ऐसे ही एक धारा के बारे में जानेंगे और देखेंगे कि मॄत्यु से भिन्न कोई क्षति कारित करने तक के अधिकार का विस्तार कब होता है। यह सभी बातें हम भारतीय दण्ड संहिता की धारा 104 (IPC section 104 in Hindi) में समझाने की कोशिश करेंगे तो आपको यह आर्टिकल अन्त तक पढ़ना है।
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आईपीसी धारा 104 क्या है (What is IPC Section 104 in Hindi)
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 104 के अनुसार यदि वह अपराध जिसके किए जाने या किए जाने के प्रयत्न से निजी प्रतिरक्षा के अधिकार के प्रयोग का अवसर आता है, ऐसी चोरी या आपराधिक अतिचार है, जो पिछली धारा में प्रगणित भांतियों में से किसी भांति का न हो, तो उस अधिकार का विस्तार स्वेच्छया मॄत्यु कारित करने का नहीं होता किन्तु उसका विस्तार धारा 99 में वर्णित निर्बंधनों के अध्यधीन दोषकर्ता की मॄत्यु से भिन्न कोई क्षति स्वेच्छया कारित करने तक का होता है।
आसान भाषा में: आसान भाषा में समझाने की कोशिश करें तो भारत के प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार प्राप्त है जिसके अन्तर्गत यदि कोई हमलावर ऐसा अपराध करता है जो धारा 103 में बताएं गए अपराधों की श्रेणी में न आता हो जैसे चोरी, रिष्टि अथवा हानि या फिर कोई आपराधिक अतिचार है तो उसकी मृत्यु कारित न करते हुए कोई अन्य अपहानि की जा सकती है लेकिन इस धारा का लाभ तब ही लिया जा सकता है जब धारा 99 में बताएं गए नियमों का पालन किया जाये।
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इस आर्टिकल में हमने आपको बताया कि मॄत्यु से भिन्न कोई क्षति कारित करने तक के अधिकार का विस्तार कब होता है। इस भारतीय दण्ड संहिता की धारा 104 (IPC section 104 in Hindi) से संबंधित सारी जानकारी हमने आपको बहुत ही विस्तार और आसान भाषा में समझाने की कोशिश की है।
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