IPC Section 128 in Hindi – आईपीसी धारा 128 क्या है पूरी जानकारी

आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि भारतीय दंड संहिता की धारा 128 क्या है (What is IPC section 128 in Hindi), कैसे इसमें अपराध होता है, कितनी सजा सुनाई जाती है, जमानत लायक है या नहीं, कैसे एक वकील मददगार साबित हो सकता है, कैसे इस अपराध को करने से बचा जा सकता है। भारतीय दंड संहिता की धारा 128 क्या कहती है (What does IPC section 128 says in Hindi), सब कुछ विस्तार से जानेंगे।

ऐसे बहुत से आरोपी होते है जो जुर्म करने के बाद भी जेल से बाहर आ जाते हैं कैसे, क्युकी उनकी जान पहचान होती है सरकारी कर्मचारी से जो उन्हें बाहर निकालने में मदद करते हैं या तो वो किसी ऊंचे पद के अधिकारी से मिले हुए होते है या कोई और जुगाड कर आरोपी को बाहर निकल वाने में मदद कर देते हैं। बहुत सी बार तो ऐसा होता है कि आरोपी जेल से भाग जाता है मगर कोई कुछ नहीं कहता कोई परवाह ही नहीं करता।

IPC Section 128 in Hindi

तो आज हम ऐसे ही एक धारा के बारे में जानेंगे और देखेंगे कि यदि कोई लोक सेवक का अपनी इच्छा से किसी राजकैदी या युद्धकैदी को निकल भागने देता है तब क्या होता है। यह सभी बातें हम भारतीय दंड संहिता की धारा 128 (IPC section 128 in Hindi) में जानेंगे तो आपको यह आर्टिकल अन्त तक पढ़ना है।

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आईपीसी धारा 128 क्या है (What is IPC Section 128 in Hindi)

भारतीय दंड संहिता की धारा 128 के अनुसार यदि कोई लोक सेवक होते हुए अपनी अभिरक्षा (Custody) में रखे हुए किसी राजकैदी या युद्धकैदी को ऐसे स्थान से जिसमें ऐसा कैदी परिरुद्ध है उसे अपनी इच्छा से निकल भागने देगा तो ऐसे लोकसेवक पर धारा 128 लागू होंगी और इसके अनुसार उसे दण्डित किया जाएगा।

किसी भी अपराधी को उसकी इच्छा से भगा देना एक गंभीर अपराध माना जाता है। यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

 Example:  A एक पुलिस अधिकारी है और B एक अपराधी है जिसमे कोई गंभीर जुर्म किया है जिसके चलते उसे जमानत नहीं मिली है। A जो है वो B को जानता है, B जेल में है तो ऐसे में उसे बाहर निकालना होता है तो जेल से बाहर निकलने में उसकी मदद A करता है चुकीं वो अधिकारी है। तो किसी दिन मौका पाकर A जो है वो B के पास जाकर उसे जेल से भाग जाने को कहता है.

चुकी B जो है वो A की कस्टडी में होता है तो B के लिए आसान होता है भाग जाना, तो किसी दिन A जो B की मदद कर देता है जेल से बाहर निकलवाने में, इस तरह B भाग जाता है जेल से, मगर जब जांच पड़ताल होती है तो पता चलता है कि A ने मदद की थी B को भगाने में, जिसके चलते A पर धारा 128 लगा कर केस दर्ज किया जाता है और जब A को कोर्ट में सारे सबूतों के साथ पेश किया जाता है तब न्यायालय उसे उचित दंड देकर दण्डित करती है।

आईपीसी धारा 128 में सजा का प्रावधान (Punishment in IPC Section 128 in Hindi)

भारतीय दंड संहिता की धारा 128 के अनुसार यदि कोई लोकसेवक होते हुए अपनी अभिरक्षा (Custody) में रखे हुए किसी राजकैदी या युद्धकैदी को ऐसे स्थान से जिसमें ऐसा कैदी परिरुद्ध है उसे अपनी इच्छा से निकल भागने देगा तो ऐसे लोकसेवक पर धारा 128 लागू होंगी और इसके अनुसार उसे दण्डित किया जाएगा। इस धारा के अनुसार उस लोकसेवक को आजीवन कारावास या 10 वर्ष की कारावास और आर्थिक जुर्माना लगा कर दण्डित किया जाता है।

इसे एक गंभीर अपराध माना गया है चुकीं हो सकता है जो जेल से भागा हो वो बाहर जाकर कोई और गंभीर जूर्म करदे जिससे कोई मानव हानी हो सकतीं हैं जिसके चलते इसे समझौता करने योग्य नहीं माना गया है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

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आईपीसी धारा 128 में जमानत का प्रावधान (Bail in IPC Section 128 in Hindi)

भारतीय दंड संहिता की धारा 128 के अनुसार यदि कोई लोकसेवक होते हुए अपनी अभिरक्षा (Custody) में रखे हुए किसी राजकैदी या युद्धकैदी को ऐसे स्थान से जिसमें ऐसा कैदी परिरुद्ध है उसे अपनी इच्छा से निकल भागने देगा तो ऐसे लोकसेवक को आजीवन कारावास या 10 वर्ष की कारावास और आर्थिक जुर्माना लगा कर दण्डित किया जाता है।

यह एक  संज्ञेय अपराध है जिसके चलते इसे ग़ैर जमानती अपराध माना गया है। किसी भी आरोपी को ज़मानत मिलना बहुत मुश्किल होता है।

एक वकील की ज़रूरत क्यों लगती है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 128 के अनुसार यह एक ग़ैर जमानती अपराध है जिसके चलते किसी भी आरोपी को ज़मानत मिलना बहुत मुश्किल होता है। तो ऐसे में किसी भी आरोपी को ज़मानत लेने के लिए एक वकील की ज़रूरत लगती है, जो उसे निर्दोष साबित कर सकता हो और जमानत दिलवा सकता हो।

ऐसे में आरोपी यदि उच्च न्यायालय में जमानत की याचिका दायर करता है तो उसकी याचिका को निरस्त कर दिया जाता है तो ऐसे में आरोपी को ज़मानत सिर्फ एक वकील ही दिलवा सकता है। किसी भी मामले को सुलझाने के लिए एक ऐसे वकील को नियुक्त करना चाहिए जो पहले से अपने क्षेत्र में निपुण हो और आरोपी को ज़मानत दिलवाने में मददगार साबित हो सकता है।

 Note:  इस अपराध से बचने का तरीका यह है कि यदि आप किसी को जानते हैं और उसने कोई अपराध किया है तो उसकी कोई मदद नहीं करें हो सकता है आप उसकी मदद करें और वो आपको ही फँसा दे तो बेहतर है उसे कानून के भरोसे ही छोड़ दे।

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Conclusion

इस आर्टिकल में हमने आपको बताया कि कैसे किसी अपराधी को उसकी इच्छा से जेल से बाहर निकलने में मदद करने पर क्या होता है, कैसे सजा सुनाई जाती है, (How is punishment and bail in IPC section 128 in Hindi) जमानत मिलना कितना मुश्किल होता है, कैसे एक वकील जमानत दिलवाने में मददगार साबित हो सकता है और कैसे इस अपराध को करने से बचा जा सकता है। सब कुछ हमने बहुत ही आसान भाषा में समझाने की कोशिश की है।

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