IPC Section 129 in Hindi – आईपीसी धारा 129 क्या है सजा | जमानत

आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि भारतीय दंड संहिता की धारा 129 क्या है (What is IPC section 129 in Hindi), कैसे इसमें सजा सुनाई जाती है, जमानत होती है या नहीं,  वकील की ज़रूरत कब लगती है, इस अपराध को करने से कैसे बचा जाए। यह भारतीय दंड संहिता की धारा 129 क्या कहती है (What does IPC section 129 says in Hindi), सब कुछ विस्तार से जानेंगे।

बहुत से सरकारी कर्मचारी ऐसे होते है जिनके दफ्तर में कुछ भी हो रहा हो उन्हें कुछ फर्क नहीं पड़ता, जैसा चल रहा हो वैसा चलने देते और यदि कोई officer कुछ करता है तो उसे भी रोकते हैं और ना करने की हिदायत देते हैं। उन्हें बस पैसों से मतलब होता है, ना किसी की सुनते ना ही कुछ काम करते बल्कि ओर के कामों में अड़चन पैदा करते हैं। आज कल तो हर किसी को बस पैसों से मतलब होता है कोई काम नहीं करना चाहता है।

IPC section 129 in Hindi

तो आज हम ऐसे ही एक धारा के बारे में जानेंगे कि कैसे यदि कोई अपराधी जेल से भाग जाता है और कोई कुछ ध्यान नहीं देता तब क्या होता है, कैसे ऐसे मामलों को निपटा जाता है, क्या क्या प्रावधान होते है यह सभी बातें हम भारतीय दंड संहिता की धारा 129 (IPC section 129 in Hindi), में जानेंगे तो आपको यह आर्टिकल अन्त तक पढ़ना है।

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आईपीसी धारा 129 क्या है (What is IPC Section 129 in Hindi)

भारतीय दंड संहिता की धारा 129 के अनुसार , जो कोई लोक सेवक होते हुए और किसी राजकैदी या युद्धकैदी की अभिरक्षा (Custody) रखते हुए लापरवाही से ऐसे कैदी का किसी ऐसे सीमित स्थान से जिसमें ऐसा कैदी सिमाबद्ध है उसका निकल भागना सहन करेगा, तो ऐसे व्यक्ति पर धारा 129 लागू होगी और इसके अनुसार उसे दंडित किया जायेगा।

यदि कोई अपराधी हिरासत में है और किसी अधिकारी की लापरवाही से अपराधी जेल से भाग जाता है तो ऐसे अधिकारी पर धारा 129 लागू होती है और इसके अनुसार उसे दण्डित किया जाता है। यह एक संज्ञेय अपराध है, यदि कोई अपराधी जेल से भाग कर कोई बड़ा अपराध कर देता है किसी की जान ले  लेता है

या कोई मानव हानी कर देता है तो ऐसे नुक़सान का ज़िम्मेदार वह अधिकारी होगा जिसकी लापरवाही से अपराधी भागा है। यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

आईपीसी धारा 129 में सजा का प्रावधान (Punishment in IPC Section 129  in Hindi)

भारतीय दंड संहिता की धारा 129 के अनुसार यदि कोई अपराधी किसी अधिकारी की हिरासत में होते हुए अधिकारी की लापरवाही से भाग जाता है तो ऐसे अधिकारी पर धारा 129 लागू होती है और इसके अनुसार उस अधिकारी को 3 वर्ष की कारावास और आर्थिक जुर्माना लगा कर दण्डित किया जाता है।

यह एक संज्ञेय अपराध है, समझोता करने योग्य नहीं है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। ऐसे अपराध आगे चल कर किसी बड़ी अपराध का रूप ले सकते हैं, कोई बड़ी हानी होने की संभावना रहती है।

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आईपीसी धारा 129 में जमानत का प्रावधान (Bail in IPC Section 129 in Hindi)

भारतीय दंड संहिता की धारा 129 के अनुसार यदि कोई अपराधी हिरासत में रहते हुए किसी लोकसेवक की लापरवाही से जेल से भाग जाता है तो ऐसे अधिकारी को 3 वर्ष की कारावास और आर्थिक जुर्माना लगा कर दण्डित किया जाता है।

चुकीं इसमें कोई मानव हानी या बड़ा नुक़सान नहीं होता जिसके चलते इसे जमानती अपराध माना गया है। ऐसे मामलों में यदि आरोपी अपनी जमानत की याचिका उच्च न्यायालय में दायर करता है तो उसकी याचिका को स्वीकार कर लिया जाता है। उसके पुराने इतिहास और जुर्म की गम्भीरता को देख कर उसे जमानत दे दी जाती है।

एक वकील की ज़रूरत क्यों लगती है।

यह एक संज्ञेय अपराध है मगर इसमें जमानत दे दी जाती है मगर किसी भी आरोपी को ज़मानत लेने के लिए एक वकील की ज़रूरत तो लगती ही है जो उसे आसानी से ज़मानत दिलवा सकता हो जो न्यायालय के सारे काम अच्छे तरीके से जानता और समझता हो और आरोपी को निर्दोष साबित कर सकता हो।

किसी भी मामले को सुलझाने के लिए एक ऐसे वकील को नियुक्त करना चाहिए जो पहले से अपने क्षेत्र में निपुण हो और मामले को आसानी से सुलझा सकता हो और आरोपी को ज़मानत भी दिलवा सकता हो।

 Note:  इस अपराध से बचने का तरीका यह है कि अपने काम को पूरी निष्ठा और ईमानदारी से करे, लापरवाही से काम ना करें। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आगे चलकर आपको ही नुक़सान झेलना पड़ सकता है तो बेहतर है सारे काम समझदारी और बिना लापरवाही के करें।

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Conclusion

इस आर्टिकल में हमने आपको बताया कि कैसे यदि कोई लोकसेवक की लापरवाही से कोई अपराधी जेल से भाग जाता है तो क्या होता है, कैसे सजा सुनाई जाती है, किस तरह जमानत होती है, एक वकील की ज़रूरत क्यों लगती है, अपराध को करने से कैसे बचा जा सकता है, यह सभी बातें हमने आईपीसी धारा 129 (IPC section 129 in Hindi) में जाना, हमने आपको बहुत ही आसान भाषा में समझाने की पूरी कोशिश की है।

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