IPC 211 in Hindi – आईपीसी की धारा 211 क्या है सजा | जमानत

दोस्तों आज की इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि आईपीसी धारा 211 क्या है। (What is IPC Section 211 in Hindi), आईपीसी धारा 211 में कैसे सजा होती है, आईपीसी धारा 211 कैसे इसमें जमानत होती है। (How is punishment and bail in IPC section 211 in Hindi) यह धारा क्या कहती है। (What does IPC section 211 says in Hindi), सब कुछ विस्तार से जानेंगे बस आप आर्टिकल लास्ट तक पढ़ते रहना।

दोस्तों आज के समय में हर किसी को कानून की जानकारी होना भी बहुत अच्छी बात है क्यूंकि आज का जो समय है, वो Knowledge Gain करने का समय चल रहा है। कौन सी परिस्थिति में हमे हमारी कौन सी जानकारी की सहायता लग जाये ये पता नहीं चलता इसलिए अन्य सभी जानकारी के जैसे ही हमे कानून की जानकारी होनी ही चाहिए। अब कुछ ऐसे लोग भी होते है की वो ये सोचने लगते है की हमे तो कानून की बहुत समझ है,

कानून को वो अपने मुट्ठी में समझते है और ऐसी गलत सोंच रखते हुए वो खुद को कानून का ज्ञाता समझते हुए इसका गलत फायदा उठाते हुए कई बार झठा आरोप लगा कर किसी निर्दोष को सजा दिलाने की सोंच रखकर उनके खिलाफ झूठा केस दर्ज करा देते है।

IPC 211 in Hindi

अब दोस्तों झूठा केस तो दर्ज करा देते है ये सोंचते हुए के उन्होंने बहुत सही किया है लेकिन वो ये भूल जाते है की कानून सबसे बड़ा है और फिर बाद में इसके लिए उन्हें सजा मिलती है। तो दोस्तों आज हम बात करेंगे ऐसे ही एक धारा के बारे में जो झूठे केस दर्ज करवाने वालो पर उनके ही खिलाफ केस चलाती है। ये धारा है भारतीय दंड संहिता की धारा IPC 211 तो आइये जानते है इसके बारे में।

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आईपीसी की धारा 211 क्या है (What is IPC Section 211 in Hindi)

भारतीय दण्ड संहिता की धारा 211 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी निर्दोष व्यक्ति पर उसको नुकसान या क्षति पहुचाने के उद्देश्य से दाण्डिक कार्यवाही संस्थित करेगा या झूठा आपराधिक आरोप लगाएगा इस धारा के अंतर्गत अपराध है। दोस्तों इस धरा के अनुसार यदि कोई व्यक्ति यह समझता है की वो कानून का सबसे बड़ा ज्ञाता है, कानून तो उसकी मुट्ठी में है और ये सब सोंच कर वो किसी निर्दोष व्यक्ति के खिलाफ कोई भी झूठा केस दर्ज करवा देता है।

झूठा आरोप लगाना, परेशान करना, Image down करने के उद्देश्य से उस व्यक्ति ने किसी निर्दोष पर केस कर दिया। अब Police तहकीकात हुयी जिसमे यह पाया गया की ये सब तो पूरा झूठ है वास्तविकता से इसका कोई लेना देना नहीं है, और उस व्यक्ति को (जिसने) केस दर्ज कराया उसे भी पता था के ये सब झूठ है, तब इस स्थिति में ऐसा करने वाले व्यक्ति पर IPC Section 211 को लगाया जायेगा

और इसके तहत उसे सजा भी सुनाई जाएगी। दोस्तों किसी को भी परेशान करने के लिए उस पर झूठे आरोप लगा कर उस पर केस कर देना बहुत ही ज्यादा गलत बात है और इसी कारण ऐसा करने वाले व्यक्तियों को अपराधी और से अपराध की श्रेणी में रखा गया है।

 Example:  मान लो एक कालोनी है जिसमे दो A and B पडोसी है और जिसमे से A पडोसी ऐसा है की उसे अपने बाजू वाले पडोसी B को खुश देखा नहीं जाता। हलाकि बी को इसके बारे में पता है की A पडोसी में थोड़ी जलन की भावना है मगर B को इससे कोई लेना देना नहीं है वो अपने काम से काम रखता है। अब एक दिन पडोसी A ने अपने पडोसी B पर झूठा आरोप लगा दिया चोरी का।

अब मामला पुलिस पास पंहुचा, पुलिस ने अपनी जांच करी, तब जांच में ये पता चला के पडोसी B तो पूरी तरह से निर्दोष है, फिर पडोसी A से जब पूछा गया तब उन्होंने बताया की वो सब उसने झूठा आरोप लगाया था। तब इस तरह के केस में धारा 211 के तहत उस पडोसी A पर मुकदमा चलाई जाएगी और सजा भी दी जाएगी।

कब लागू होगी IPC की धारा 211? – यदि कोई व्यक्ति किसी निर्दोष व्यक्ति पर उसको नुकसान या क्षति पहुचाने के उद्देश्य से दाण्डिक कार्यवाही संस्थित करेगा या झूठा आपराधिक आरोप लगाएगा इस धारा के अंतर्गत अपराध है।

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आईपीसी की धारा 211 के तहत मिलने वाली सजा (Punishment in IPC 211 Hindi)

दोस्तों इस अपराध के तहत झूठा आरोप सिद्ध हो जाने पर उस व्यक्ति पर 2 साल की सजा और जुर्माना से दण्डित किया जाता है, लेकिन अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति पर सब चीज जानते हुए भी कोई गंभीर और झूठा आरोप लगाता है जिसका दंड मृत्यु दंड हो सकता है, तब ऐसा करने पर और जांच होने पर जब ये पाया जाये के आरोप झूठे थे, तब ऐसा झूठा आरोप लगाने वाले को 7 साल तक की सजा और जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है।

IPC की धारा 211 के तहत लागू अपराध

 1  क्षति करने के आशय से अपराध का झूठा आरोप।

सजा – दो वर्ष कारावास या आर्थिक दण्ड या दोनों।

यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है जो की प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

 2  यदि आरोपित अपराध सात वर्ष या उससे अधिक के कारावास से दण्डनीय है।

सजा – सात वर्ष कारावास और आर्थिक दण्ड।

यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है जो की प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

 3  यदि आरोपित अपराध मॄत्युदण्ड या आजीवन कारावास से दण्डनीय है।

सजा – सात वर्ष कारावास और आर्थिक दण्ड।

यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है जो की सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है। यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

 Note:  दोस्तों Basically इसमें ये बताया गया है की झूठा आरोप लगाने वालो पर किस तरह से धारा 211 लगाया जाता है और उन्हें ऐसा करने पर किस तरह से दण्डित किया जाता है।

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Conclusion

आशा है की आपको आईपीसी धारा 211 क्या है? इससे सम्बंधित बहुत सी जानकारी आपको हुई होगी और साथ ही IPC की धारा 211 क्या कहती है? (What does section IPC 211 says in Hindi). इसकी जानकारी भी आपको मिल गयी होगी। तो अगर आपको ये आर्टिकल पसंद आया हो तो आप अपने दोस्तों के साथ जरूर इसे शेयर करें ताकि आपके दोस्त भी हमारे भारतीय दंड संहिता के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें।

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