आजकल के समय में हमें कानून की जानकारी रखना बहुत जरुरी है इसीलिए बताएंगे कि आईपीसी की धारा 393 क्या हैं (what is IPC section 393 in Hindi), आईपीसी 393 में कैसे अपराध होता है, इसमें कितनी सजा है, यह अपराध जमानती है या नहीं है और अगर जमानती है तो जमानत कैसे होती है, (Punishment and Bail in IPC Section 393) और इस अपराध को करने से कैसे बचा जा सकता है। यह भारतीय दंड संहिता की धारा 393 क्या कहती है (what does IPC section 393 says in Hindi), इस धारा से जुड़ी सारी जानकारी आपको बताने की कोशिश करेंगे।
अक्सर अखबार और टीवी पर देखने को मिलता है कि किसी घर में कोई ना होने के कारण वहां चोरी हुई या चोरों ने किसी सुने घर को देखकर उसमें चोरी करने की कोशिश की है। बहुत सी बार तो जहां बहुत से लोग होते हैं वहां भी चोरी हो जाती है क्योंकि उस दिन भर ऐसे ही कोई चोर होता है जो काफी चोरियां पहले से कर चुका होता है ऐसे में उसे ध्यान रहता है कि कब चोरी करनी है और कब नहीं, चोरी कहीं पर कोई एक व्यक्ति नहीं बल्कि बहुत सारे लोग मिलकर करते हैं जिसने भी किसी बड़े घर या किसी अमीर जगह को अपना निशाना बनाते हैं। और जब इन चोरों को पकड़ा जाता है तो उन्हें सजा भी नहीं दी जाती इन्हें सिर्फ समझा कर छोड़ दिया जाता है, और दोबारा ऐसा नहीं करने की समझाइश दी जाती है मगर वे दोबारा ऐसा करते हैं।
तो आज हम आपको ऐसे ही एक धारा के बारे में बताएंगे कि लूट करने का प्रयत्न करने पर क्या होता है । यह भारतीय दंड संहिता की धारा 393 (IPC section 393 in Hindi) से जुड़ी सारी जानकारी हम आपको इस आर्टिकल में बहुत विस्तार और आसान भाषा में समझाने की कोशिश करेंगे तो आपको यह आर्टिकल अंत तक पढ़ना है। आईपीसी धारा 257 क्या है
आईपीसी की धारा 393 क्या है (What is IPC Section 393 in Hindi)
IPC Section 393 के अनुसार जो कोई लूट करने का प्रयत्न करेगा, तो ऐसे व्यक्ति को एक साल के लिए कठोर कारावास जिसे सात साल तक किया जा सकता है साथ में आर्थिक दण्ड से दण्डित किया जाएगा।
आसान भाषा में समझाने की कोशिश करें तो यदि कोई भी व्यक्ति लूट या डकैती करने की कोशिश करता है तो ऐसे किसी व्यक्ति पर धारा 393 लागू होगी और इसी धारा के अंतर्गत से दंडित भी किया जाएगा।
Example: रमेश अपने घर जा रहा होता है तभी रास्ते में एक सुने घर को देख कर उसका मन बदल जाता है तभी वह घर मे चोरी करने का सोचता है और चोरी करने का कोशिश करता है। घर का ताला तोड़ कर वह घर में घुस जता है और चोरी करने लग जाता है तभी वहां घर के लोग आ जाते है और रमेश को चोर करते रंगे हाथ पकड़ लेते हैं। घर के लोग पुलिस वालों को बुला लेते हैं और रमेश को पुलिस के हवाले कर देते हैं और बाद में पुलिस रमेश पर धारा 393 लगा कर उसे गिरफ्तार कर लेते है और न्यायालय उसे इस धारा के अनुसार दंडित करती हैं।
आईपीसी की धारा 393 में सजा का प्रावधान (Punishment in IPC Section 393 in Hindi)
IPC Section 393 के अनुसार यदि कोई भी व्यक्ति लूट या डकैती करने का प्रयाश करता है तो ऐसे किसी व्यक्ति को न्यायालय 7 वर्ष की कारावास की Punishment और आर्थिक जुर्माना लगाकर दंडित किया जाता हैं।
दोस्तों ऐसे अपराध संज्ञेय होता है और इसमें समझौता करने योग्य नहीं होता है और इसमें किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। इसके बाद ही आपको जमानत मिलने की चांस होती है।
आईपीसी की धारा 393 में जमानत का प्रावधान (Bail in IPC Section 393 in Hindi)
भारतीय दंड संहिता की धारा 393 के अनुसार यदि कोई भी व्यक्ति लूट या डकैती करने की कोशिश करता है तो ऐसे किसी व्यक्ति को 7 वर्ष की कारावास की सजा और आर्थिक जुर्माना लगाकर दंडित किया जाता हैं। यह एक गैर जमानती अपराध है, इस अपराध में किसी भी अपराधी को जमानत मिलना काफी मुश्किल होता है।
दोस्तों जब आप ऐसा कोई काम करते है जिससे किसी दूसरे कोई को नुकशान सहना पड़ता है ऐसे कामो को भारत में एक अपराध माना जाता है। और जब आप ऐसे करते हुवे पकडे जाते है तो आपको बच कर निकलना बहुत मुश्किल होता है और ऐसे अपराध में आप समझौता कर भी नहीं सकते हैं इसीलिए इसमें मजिस्ट्रेट काफी सोच समझकर आपको जमानत देती है इसीलिए ऐसे केस में आपको जमानत लेने में या मिलने में थोड़ा टाइम लग जाता है इसके बाद ही आपको जमानत मिलती है।
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वकील की जरूरत कब लगती है।
भारतीय दंड संहिता के अनुसार यदि कोई भी व्यक्ति लूट या डकैती करने की कोशिश करता है ऐसे व्यक्ति को 7 वर्ष की कारावास की सजा से दंडित किया जाता है और यह अपराध एक गैर जमानती अपराध है जिसमें किसी भी अपराधी को जमानत मिलना काफी मुश्किल होता है तो ऐसे में किसी अपराधी को जमानत लेने के लिए आपको एक वकील को hire करने की जरुरत होती है क्यूंकि वही आपको सही निर्देश देता है इसके बाद उसी तरह आप काम करते है क्यूंकि वकील को कानून के बारे में जानकारी बहुत होती है।
दोस्तों आज के समय में बहुत सारी वकील है लेकिन हर कोई आपको जमानत नहीं दे सकती है इसके लिए जो ऐसे काम में expert होते है वही वकील आपको जमानत दिलवा सकते है तो आप सोच समझ कर वकील को hire करे। IPC section 217 in Hindi
Faq on IPC Section 393
Q1. भारतीय दण्ड संहिता की धारा 393 क्या है।
Ans. Ipc Section 393 यह हैं कि यदि कोई भी व्यक्ति लूट या डकैती करने की कोशिश करता है।
Q2. भारतीय दंड संहिता की धारा 393 में सजा का क्या प्रावधान है।
Ans. भारतीय दंड संहिता की धारा 393 के अनुसार यदि कोई भी व्यक्ति लूट या डकैती करने की कोशिश करता है। तो इस तरह के अपराधों को 7 वर्ष की कारावास की Punishment और आर्थिक जुर्माना लगाकर सजा दी जाती है।
Q3. भारतीय दंड संहिता की धारा 393 में जमानत का क्या प्रावधान है।
Ans. भारतीय दंड संहिता की धारा 393 के अनुसार यदि कोई भी व्यक्ति लूट या डकैती करने की कोशिश करता है तो ऐसे लोगों पर यह धरा लागू होती है और यह एक गैर ज़मानती हैं।
Q4. भारतीय दंड संहिता की धारा 393 में जमानत कैसे मंजूर की जाती हैं।
Ans. भारतीय दंड संहिता की धारा 393 के अनुसार यह एक गैर ज़मानती अपराध है यानी की इसमें आसानी से जमानत नहीं मिलता है, तो इस अपराध में जमानत लेने के लिए एक अच्छा वकील की जरुरत पड़ती है जो तेज हो अपने फील्ड में तभी आपको वो जमानत दिलवा सकता है।
Q5. भारतीय दंड संहिता की धारा 393 संज्ञेय अपराध है या गैर – संज्ञेय अपराध?
Ans. भारतीय दंड संहिता धारा 393 एक संज्ञेय अपराध है। IPC section 124 in Hindi
Conclusion
इस आर्टिकल में हमने बताया कि कोई लूट या डकैती करने पर क्या होता है, कितनी सजा होती है, जमानत मिलना कितना मुश्किल होता है और कैसे वकील मददगार साबित हो सकता है। भारतीय दंड संहिता की धारा 393 (IPC section 393 in Hindi) से जुड़ी सारी जानकारी हमने आपको बहुत ही विस्तार और आसान भाषा में समझाने की कोशिश की है।
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