IPC Section 301 in Hindi – आईपीसी की धारा 301 क्या है पूरी जानकारी

दोस्तों कानून की जानकारी रखना बहुत जरुरी है क्यूंकि हमें जरुरत पड़ती है आईपीसी की धारा 301 क्या हैं (what is IPC section 301 in Hindi), आईपीसी की धरा 301 में कैसे इसमें अपराध होता है, कितनी सजा होती है, यह अपराध जमानती है या नहीं है (Punishment and Bail in IPC Section 301) और अगर जमानती है तो जमानत कैसे होती है और ऐसे अपराध से कैसे बचा जा सकता है। यह भारतीय दंड संहिता की धारा 301 क्या कहती है (what does IPC section 301 says in Hindi), इस धारा से जुड़ी सारी जानकारी आपको बताने की कोशिश करेंगे।

ऐसा कहीं पर होता है कि जो भी अपराध करता है उसका मकसद कुछ और होता है लेकिन हो कुछ और जाता है। कहीं बाहर अपराध में बेगुनाहों की जान या फिर उन्हें मुसीबत का सामना करना पड़ता है क्योंकि अपराधी जिस व्यक्ति को अपना निशाना बनाता है उस व्यक्ति पर अत्याचार ना होकर किसी बेगुनाह पर अत्याचार हो जाता है जिसके चलते उसे काफी सारी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है कहीं बार बेगुनाहों की जान भी चली जाती है।

IPC Section 301 in Hindi

तो आज हम आपको ऐसे ही एक धारा के बारे में बताएंगे कि जिस व्यक्ति की मॄत्यु कारित करने का आशय था उससे भिन्न व्यक्ति की मॄत्यु करके आपराधिक मानव वध करने पर क्या होता है । यह भारतीय दंड संहिता की धारा 301 (IPC section 301 in Hindi) से जुड़ी सारी जानकारी हम आपको इस आर्टिकल में बहुत विस्तार और आसान भाषा में समझाने की कोशिश करेंगे तो आपको यह आर्टिकल अंत तक पढ़ना है। IPC section 217 in Hindi

आईपीसी की धारा 301 क्या है (What is IPC Section 301 in Hindi)

IPC Section 301 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति कोई ऐसी बात करता है जिसका मकसद मॄत्यु  करना हो या जिससे वह जानता हो कि मॄत्यु होने की सम्भावना है, किसी ऐसे व्यक्ति की मॄत्यु करके जिसकी मॄत्यु कारित करने का न तो उसका मकसद हो और न वह यह संभाव्य जानता हो कि वह उसकी मॄत्यु कारित करेगा आपराधिक मानव वध करे, तो अपराधी द्वारा किया गया आपराधिक मानव वध उस भांति का होगा जिस भांति का वह होता। यदि वह उस व्यक्ति की मॄत्यु कारित करता जिसकी मॄत्यु कारित करना उसका मकसद था या वह जानता था कि उस व्यक्ति की मॄत्यु कारित होना सम्भाव्य है।

आसान भाषा में समझाने की कोशिश करें तो यदि कोई भी व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति की मौत कर देता है जिसको मारने का उसका मकसद नहीं होता है तो ऐसे किसी व्यक्ति पर धारा 301 लागू होगी और इसी धारा के अंतर्गत से दंडित भी किया जाएगा।

 Example:  राजू किसी घर में चोरी करने इरादे से जाता है और घर में घुस जाता है मगर कुछ देर बाद उस करके लोग में से कोई एक उठ जाता है और जब उसे पता लगता है कि घर में कोई घुस गया है तो वह उन चोर को रोकने के लिए उन चोरों के सामने चला जाता है और उन चोर को रोकने की कोशिश करता है मगर जब राजू उस व्यक्ति को हटने के लिए कहता है तब वह व्यक्ति नहीं हटता है और राजू उस व्यक्ति पर गोली चलाने ही वाला होता है कि उस व्यक्ति के सामने कोई और घर का व्यक्ति आ जाता है और उस व्यक्ति को गोली लग जाती है।

तब उस घर के लोग जल्दी से पुलिस को बुला लेते हैं और राजू को पुलिस के हवाले कर देते हैं बाद में राजू को गिरफ्तार कर लिया जाता है और धारा 301 लगाकर उसके अनुसार उसे दंडित किया जाता है। आईपीसी धारा 257 क्या है

आईपीसी की धारा 301 में सजा का प्रावधान (Punishment in IPC Section 301 in Hindi)

आईपीसी की धारा 301 के अनुसार यदि कोई भी व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति की मृत्यु कर देता है जिस को मारने का उसका मकसद नहीं होता है तो ऐसे किसी व्यक्ति को न्यायालय 10 वर्ष की कारावास की सजा और आर्थिक जुर्माना लगाकर दंडित किया जाता हैं।

यह एक संज्ञेय अपराध है और समझौता करने योग्य नहीं है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

आईपीसी की धारा 301 में जमानत का प्रावधान (Bail in IPC Section 301  in Hindi)

भारतीय दंड संहिता की धारा 301 के अनुसार यदि कोई भी व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति की मृत्यु कर देता किसी ऐसे व्यक्ति की मृत्यु कर देता है जिस को मारने का उसका मकसद नहीं होता है तो ऐसे किसी व्यक्ति को 10 वर्ष की कारावास की सजा और आर्थिक जुर्माना लगाकर दंडित किया जाता हैं। यह एक गैर जमानती अपराध है।

दोस्तों ऐसे अपराध में किसी को भी जमानत मिलना काफी मुश्किल होता है। ऐसे कोई भी काम जो गैर कानूनी है ऐसे अपराध को बड़ा अपराध माना जाता है। इसीलिए ऐसे केस में आपको बचना आपके लिए काफी मुश्किल होता है। यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं होता है और किस भी मजिस्ट्रेट द्वारा काफी विचारणीय होता है। ऐसे अपराध में किसी भी अपराधी को Bail मिलने में बहुत लग जाता है।

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वकील की जरूरत कब लगती है।

भारतीय दंड संहिता के अनुसार किसी ऐसे व्यक्ति की मृत्यु कर देता किसी ऐसे व्यक्ति की मृत्यु कर देता है जिस को मारने का उसका मकसद नहीं होता है ऐसे व्यक्ति को 10 वर्ष की कारावास की सजा से दंडित किया जाता है और यह अपराध एक गैर जमानती अपराध है जिसमें किसी भी अपराधी को जमानत मिलना काफी मुश्किल होता है तो किसी भी अपराधी को जमानत लेने के लिए एक वकील की जरूरत लगती है जो उसे आसानी से जमानत दिलवाने में मददगार साबित हो सके।

ऐसे में आपको वही वकील जमानत दिलवा सकता है जो अपने क्षेत्र में expert हो और सारे कानून के रास्ते जानता हो कि कैसे किसी अपराधी को निर्दोष साबित किया जा सकता है। दोस्तों ऐसा ही वकील आपको जल्दी जमानत दिलवाने में मददगार साबित हो सकता है।

Faq For IPC Section 301

Q1. भारतीय दण्ड संहिता की धारा 301 क्या है।

Ans. भारतीय दंड संहिता की धारा 301  यह हैं कि यदि कोई  व्यक्ति  किसी ऐसे व्यक्ति की मृत्यु कर देता किसी ऐसे व्यक्ति की मृत्यु कर देता है जिस को मारने का उसका मकसद नहीं होता है।

Q2. भारतीय दंड संहिता की धारा 301 में सजा का क्या प्रावधान है।

Ans. भारतीय दंड संहिता की धारा 301 के अनुसार यदि कोई भी व्यक्ति  किसी ऐसे व्यक्ति की मृत्यु कर देता किसी ऐसे व्यक्ति की मृत्यु कर देता है जिस को मारने का उसका मकसद नहीं होता है तो ऐसे किसी व्यक्ति को 10 वर्ष की कारावास की सजा और आर्थिक जुर्माना लगाकर दंडित किया जाता हैं। IPC section 124 in Hindi

Q3. भारतीय दंड संहिता की धारा 301 में जमानत का क्या प्रावधान है।

Ans. भारतीय दंड संहिता की धारा 301 के अनुसार यदि कोई भी व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति की मृत्यु कर देता किसी ऐसे व्यक्ति की मृत्यु कर देता है जिस को मारने का उसका मकसद नहीं होता है पर यह धारा लागू होती है और यह एक गैर ज़मानती हैं।

Q4. भारतीय दंड संहिता की धारा 301 में जमानत कैसे मंजूर की जाती हैं।

Ans. भारतीय दंड संहिता की धारा 301 के अनुसार यह एक गैर ज़मानती अपराध है जिसके चलते इसमें जमानत मिलना काफ़ी मुश्किल होता है, तो इस अपराध में जमानत लेने के लिए एक अनुभवी वकील को नियुक्त करना पड़ता है। वहीं जमानत दिलवा सकता है।

Q5. भारतीय दंड संहिता की धारा 301 संज्ञेय अपराध है या गैर – संज्ञेय अपराध?

Ans. भारतीय दंड संहिता धारा 301 एक संज्ञेय अपराध है।

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Conclusion 

इस आर्टिकल में हमने बताया कि कैसे बेगुनाह की मौत कर देने  पर क्या होता है, कितनी सजा होती है, जमानत मिलना कितना मुश्किल होता है और कैसे वकील मददगार साबित हो सकता है। भारतीय दंड संहिता की धारा 301 (IPC section 301 in Hindi) से जुड़ी सारी जानकारी हमने आपको बहुत ही विस्तार और आसान भाषा में समझाने की कोशिश की है।

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