आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि भारतीय दंड संहिता की धारा 408 क्या है (What is IPC section 408 in Hindi), कैसे इसमें अपराध होता है, क्या सजा सुनाई जाती है, जमानत होती है या नहीं, (How is punishment and bail in IPC section 408 in Hindi) वकील की ज़रूरत लगती है या नहीं, इस अपराध को करने से कैसे बचा जाए। भारतीय दंड संहिता की धारा 408 क्या कहती है (What does IPC section 408 says in Hindi), सब कुछ विस्तार से जानेंगे।
आज के इस युग में किसी भी व्यक्ति पर भरोसा करना काफ़ी खतरनाक साबित हो सकता है, किसी अपने पर भी विश्वास नहीं किया जा सकता है, सब खुद का फायदा देखते है, इसी चक्कर में किसी के भी साथ विश्वासघात कर देते हैं, फिर चाहे वो कोई अपना रिश्तेदार या दोस्त या कोई सरकारी कर्मचारी ही क्यों ना हो। अक्सर देखते है कि यदि कोई अनपढ़ व्यक्ति बैंक में जाता है तो वहां के कर्मचारी उस व्यक्ति के भोलेपन को देखकर उसके साथ धोका करने का सोचते हैं।
हर कर्मचारी नहीं सोचता मगर कुछ लालची होते हैं तो वो जरूर सोचते हैं और धोखा करने का अवश्य सोचते हैं। तो आज हम ऐसे ही एक धारा के बारे में जानेंगे कि कैसे यदि कोई सरकारी कर्मचारी या क्लर्क किसी ज़मीन के मामले में किसी के साथ धोखा करता है तो क्या होता है, यह सभी बातें हम भारतीय दंड संहिता की धारा 408 (IPC section 408 in Hindi) में जानेंगे और समझेंगे तो आपको यह आर्टिकल अन्त तक पढ़ना है।
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आईपीसी धारा 408 क्या है (What is IPC Section 408 in Hindi)
भारतीय दंड संहिता की धारा 408 के अनुसार: क्लर्क या सेवक द्वारा आपराधिक न्यासभंग (Criminal breach of trust)
जो कोई क्लर्क या सेवक होते हुए, या क्लर्क या सेवक के रूप में काम करते हुए, और इस नाते किसी प्रकार की संपत्ति से जुड़ा है या संपत्ति पर कोई भी शासन होते हुए उस संपत्ति के संबंध में विश्वास का आपराधिक न्यासभंग करता है ऐसे व्यक्ति पर धारा 408 लागू होती है।
Eng: Any person who, while being a clerk or servant, or acting as a clerk or servant, and being attached to any kind of property or having any rule over the property, commits a criminal breach of trust with respect to that property But section 408 is applicable.
यानी की यदि कोई लोकसेवक या क्लर्क नौकरी में रहते हुए किसी व्यक्ति की सम्पत्ति को धोखे से ख़ुद का कर लेता है तो ऐसे व्यक्ति पर धारा 408 लागू होती है। यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। यह अपराध न्यायालय की आज्ञा से पीड़ित व्यक्ति (संपत्ति का स्वामी जिसके साथ में विश्वासघात हुआ हो) द्वारा समझौता करने योग्य है।
आईपीसी धारा 408 में सजा का प्रावधान (Punishment in IPC Section 408 in Hindi)
भारतीय दंड संहिता की धारा 408 के अनुसार यदि कोई लोकसेवक या क्लर्क काम करते हुए किसी प्रकार की संपति से जुड़ा है या सम्पत्ति पर कोई शासन होते हुए उस संपति के संबंध में विश्वास का अपराधिक हनन करता है तो ऐसे व्यक्ति पर धारा 408 लागू होती है
और धारा 408 के अनुसार अपराधिक हनन करने वाले व्यक्ति को सात वर्ष की कारावास और आर्थिक जुर्माना लगा कर दण्डित किया जाता है। यह एक संज्ञेय अपराध है, किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। यह अपराध जिसके साथ विश्वासघात होता है उसके द्वारा समझौता करने योग्य है।
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आईपीसी धारा 408 में जमानत का प्रावधान (Bail in IPC Section 408 in Hindi)
भारतीय दंड संहिता की धारा 408 के अनुसार यदि कोई लोकसेवक या क्लर्क काम करते हुए किसी प्रकार की संपति से जुड़ा है या सम्पत्ति पर कोई शासन होते हुए उस संपति के संबंध में विश्वास का अपराधिक हनन करता है तो ऐसे व्यक्ति पर धारा 408 लागू होती है और धारा 408 के अनुसार अपराधिक हनन करने वाले व्यक्ति को सात वर्ष की कारावास और आर्थिक जुर्माना लगा कर दण्डित किया जाता है
और IPC Section 408 के अनुसार यह एक गैर जमानती अपराध है, वैसे तो इसमें किसी व्यक्ति को कोई चोट नहीं पहुंचती पर फिर भी किसी व्यक्ति का संपति का नुकसान होता है उसके साथ विश्वासघात होता है जिसके चलते इसे गंभीर और गैर जमानती माना जाता है।
एक वकील की ज़रूरत क्यों लगती है।
भारतीय दंड संहिता के अनुसार यह एक गैर जमानती अपराध है जिसके चलते इस अपराध में किसी भी आरोपी को ज़मानत मिलना बहुत मुश्किल होता है, यदि ऐसे में कोई आरोपी उच्च न्यायालय में अपनी ज़मानत की याचिका दायर करता है तो उसकी याचिका को निरस्त कर दिया जाता है तो ऐसे में किसी भी आरोपी को एक वकील ही बचा सकता है, जो पहले से अपने क्षेत्र में निपुण हो और आरोपी को निर्दोष साबित कर सकता हो, जिसने ऐसे मामलों को सुलझाया हो।
Note: इस अपराध से बचने का तरीका कोई लालच ना करें और किसी भी व्यक्ति के साथ कोई विश्वासघात ना करें, उसके विश्वास को कायम रखें, लालच एक बुरी बला है, इससे नुक़सान आपका भी होगा बेहतर है किसी के साथ कोई विश्वासघात ना करें।
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इस आर्टिकल में हमने आपको बताया कि कैसे किसी के साथ विश्वाघात करने पर क्या होता है, कैसे सजा सुनाई जाती है, किस तरह जमानत मिलना मुश्किल होता है, कैसे किसी भी आरोपी को एक वकील बचा सकता है, इस अपराध को करने से कैसे बचा जाए, सब हमने जाना इस भारतीय दंड संहिता की धारा 408 (IPC section 408 in Hindi) में और समझा, हमने पूरी कोशिश की है आपको आसान भाषा में समझाने की।
आईपीसी धारा 408 क्या है (What is IPC section 408 in Hindi) भारतीय दंड संहिता की धारा 408 क्या कहती है (What does IPC section 408 says in Hindi) हम उम्मीद करते हैं आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और लाभकारी साबित हुआ होगा अगर आपको पसंद आया है तो अपने साथियों के साथ जरूर शेयर करें।
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