IPC Section 108 in Hindi – आईपीसी धारा 108 क्या है पूरी जानकारी

आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि आईपीसी धारा 108 क्या है (What is IPC section 108 in Hindi), आईपीसी धारा 108 में कैसे अपराध होता है, कितनी सजा सुनाई जाती है, कैसे जमानत होती है, जमानत होती है या नहीं, वकील की ज़रूरत कब लगती है, इस अपराध को करने से कैसे बचा जा सकता है। यह भारतीय दण्ड संहिता की धारा 108 क्या कहती है (What does IPC section 108 says in Hindi), सब कुछ विस्तार से समझाने की कोशिश करेंगे।

अक्सर ऐसा होता है कि यदि किसी व्यक्ति को अन्य किसी अपने साथी या किसी दोस्त की तरक्की पसंद नहीं आता है या उसके दोस्त की तरक्की से वह ईर्ष्या रखता है तो वो व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को अपने दोस्त के खिला़फ भड़काने का काम करता है और इस तरह बहकाने की कोशिश करता है कि वह उसका कुछ नुकसान करदे या उसे कुछ चोट पहुंचा दे। ऐसे बहकावे से कोई गंभीर अपराध हो जाता है और जो बहकाने का काम करता है उसका मकसद भी पूरा हो जाता है।

IPC Section 108 in Hindi

तो आज हम ऐसे ही एक धारा के बारे में जानेंगे और देखेंगे कि दुष्प्रेरक क्या है। कैसे इस दुष्प्रेरक से अपराध होता है। यह सभी बातें हम भारतीय दण्ड संहिता की धारा 108 (IPC section 108 in Hindi) में समझाने की कोशिश करेंगे तो आपको यह आर्टिकल अन्त तक पढ़ना है।

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आईपीसी धारा 108 क्या है (What is IPC Section 108 in Hindi)

भारतीय दण्ड संहिता की धारा 108 के अनुसार वह व्यक्ति अपराध को भड़काने का काम करता है, जो अपराध के किए जाने का दुष्प्रेरण करता है या ऐसे कार्य के किए जाने का दुष्प्रेरण करता है। जो अपराध होता यदि यह कार्य अपराध करने के लिए विधि अनुसार समर्थ व्यक्ति द्वारा उसी आशय या ज्ञान से, जो दुष्प्रेरक का है, किया जाता।

Illustration 1-  किसी कार्य के अवैध नुकसान का दुष्प्रेरण अपराध की श्रेणी में आ सकेगा, चाहे दुष्प्रेरक उस कार्य को करने के लिए खुद फसा हुआ न हो।

Illustration 2-  दुष्प्रेरण का अपराध होने के लिए यह जरूरी नहीं है कि दुष्प्रेरित कार्य किया। जाए या अपराध गठित करने के लिए अपेक्षित प्रभाव कारित हो।

आसान भाषा में समझाने की कोशिश करें तो एक व्यक्ति किसी अपराध का दुष्प्रेरण करता है, जो या तो किसी अपराध को करने के लिए उकसाता है, या किसी ऐसे कार्य को करने के लिए जो एक अपराध होगा, यदि किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाता है जो कानून द्वारा अपराध करने के लिए उसी इरादे या ज्ञान के साथ अपराध करता है जो दुष्प्रेरक का है।

 Example:   की हत्या करने के लिए को उकसाता है। उस उकसाहट से को नुकसान पहुंचा देता है। को काफ़ी चोट पहुंचती है हमले से, कुछ समय बाद का घाव ठीक हो जाता है। हत्या करने के लिए को उकसाने का दोषी है। और दोनों को ही भारतीय दण्ड संहिता के अनुसार दण्डित किया जाता है।

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इस आर्टिकल में हमने आपको बताया कि दुष्प्रेरक क्या है। कैसे इस दुष्प्रेरक से अपराध होता है। यह सभी बातें हमने आपको भारतीय दण्ड संहिता की धारा 108 (IPC section 108 in Hindi) में बहुत ही विस्तार और आसान भाषा में समझाने की कोशिश की है।

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