IPC Section 110 in Hindi – आईपीसी धारा 110 क्या है पूरी जानकारी

आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि आईपीसी धारा 110 क्या है (What is IPC section 110 in Hindi), आईपीसी धारा 110 में कैसे अपराध होता है, कितनी सजा सुनाई जाती है, जमानत कैसे होती है, जमानत होती है या नहीं, वकील की ज़रूरत कब लगती है, इस अपराध को करने से कैसे बचा जा सकता है। यह भारतीय दण्ड संहिता की धारा 110 क्या कहती है (What does IPC section 110 says in Hindi), सब कुछ विस्तार से समझाने की कोशिश करेंगे।

अक्सर समाज में ऐसे बहुत से लोग होते है या कुछ लोगों का समूह होता है जिनका काम समाज में अशांति फैलाना और कोई व्यक्ति अच्छा काम कर रहा हो तो उस व्यक्ति के ख़िलाफ़ उसके अपनो को भड़काना या उसे कुछ नुकसान पहुंचाने के लिए उकसाना यहीं मकसद होता है। और यदि कोई समाज के लिए कुछ अच्छा करने का सोचता है या अच्छा करने की कोशिश करता है तो उस समुदाय के लोग उस व्यक्ति को कुछ भी अच्छा करने से रोकते हैं और बाकियों को भी कुछ न करने की सलाह देते है। ऐसे समुदाय के लोग अच्छे काम की सराहना करने के बजाए उसका अपमान करते हैं।

IPC Section 110 in Hindi

तो आज हम ऐसे ही एक धारा के बारे में जानेंगे और देखेंगे कि दुष्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कार्य करता है तब क्या होता है। यह सभी बातें हम भारतीय दण्ड संहिता की धारा 110 (IPC section 110 in Hindi) में समझाने की कोशिश करेंगे तो आपको यह आर्टिकल अन्त तक पढ़ना है।

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आईपीसी धारा 110 क्या है (What is IPC Section 110 in Hindi)

भारतीय दण्ड संहिता की धारा 110 के अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी भी अपराध के किए जाने का दुष्प्रेरण करता है, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति ने दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न वह कार्य किया हो, तो वह उसी दण्ड से दण्डित किया जाएगा, जो उस अपराध के लिए उपबन्धित है, जो दुष्प्रेरक के ही आशय से न कि किसी अन्य आशय से किया जाता है।

दुष्रेरण का दण्ड यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कार्य करता है।

आईपीसी धारा 110 में सजा (Punishment in IPC Section 110 in Hindi)

सजा – अपराध अनुसार। यदि अपराध में किसी को बहुत नुकसान होता है तो कड़ी सजा सुनाई जाती है। यदि कोई हानि नहीं होती है तो सिर्फ जुर्माना लगा कर दंडित किया जाता है।

आईपीसी धारा 110 में जमानत (Bail in Indian Penal Code 110 in Hindi)

इसकी जमानत, संज्ञान और अदालती कार्रवाई अपराध अनुसार होगी। यदि अपराध ज्यादा गंभीर होता है तो जमानत मिलना मुश्किल हो सकता है। मगर अपराध ज्यादा गंभीर ना हो तो जमानत मिल सकती हैं।

 आसान भाषा में  आसान भाषा में समझाने की कोशिश करें तो जो कोई किसी अपराध को करने के लिए उकसाता है, यदि वह व्यक्ति दुष्प्रेरक के इरादे से भिन्न इरादे से कार्य करता है, तो उस अपराध के लिए प्रदान की गई सजा से दंडित किया जाएगा, जो उस अपराध के लिए किया गया होता यदि वह कार्य उस अपराध के साथ किया गया दुष्प्रेरक का इरादा से, न की किसी अन्य इरादे से किया जाता है।

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इस आर्टिकल में हमने आपको बताया कि दुष्रेरण का दण्ड यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कार्य करता है तब क्या होता है। यह सभी बातें हमने आपको भारतीय दण्ड संहिता की धारा 110 (IPC section 110 in Hindi) में बहुत ही विस्तार और आसान भाषा में समझाने की कोशिश की है।

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